Delhi Farmers: दिल्ली में देहात के किसान काफी समय से सस्ती बिजली की मांग कर रहे थे, क्योंकि खेतों की सिंचाई के लिए किसान मुख्यतः बिजली पर ही निर्भर हैं. इससे हर महीने उन्हें हजारों रुपये बिजली के बिल के रूप में भरना पड़ता था, लेकिन विधानसभा में किसानों को मिलने वाली महंगी बिजली का मुद्दा उठाये जाने के बाद, दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने सस्ती दर पर बिजली मुहैया करावने का निर्देश दिया है. इसके बाद किसानों को सस्ती दर पर बिजली मिलने का रास्ता साफ हो गया है.


दिल्ली सरकार के इस फैसले से राजधानी में देहात के 90 गांव के 11 हजार किसानों को फायदा होगा. यहां के किसान सिंचाई के लिए बिजली पर ही निर्भर हैं, लेकिन बिजली वितरण का कार्य कर रही कंपनियों ने गुपचुप तरीके से खेती-बाड़ी के उपयोग में खर्च की जाने वाली इलेक्ट्रिसिटी का रेट प्रति किलोवाट महंगा कर 120 रुपये वसूलना शुरू कर दिया था। चूंकि खेतों में सिंचाई के लिए चलने वाले मोटर में बिजली का लोड कम से कम 8-10 किलोवाट चाहिए और इसका रेट बढ़ने से किसानों को हर महीने लगभग 1000-1200 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता था.


विधायक गुलाब सिंह ने की थी ये मांग


इस मुद्दे को विधानसभा सत्र में जोर-शोर से उठाया गया. मटियाला के विधायक गुलाब सिंह ने बिजली मंत्री से सीधे तौर पर हस्तक्षेप कर सौ रुपये प्रति किलोवाट कम करने को कहा था. विधायक ने तर्क दिया था कि साल भर के दौरान अधिकांश किसान मुश्किल से दो फसल ही उगा पाते हैं. छह माह खेत खाली रहता है, इसके बावजूद किसानों को 120 रुपये प्रति किलोवाट की दर से बिजली कंपनी को हर माह राशि देनी पड़ती है. इस मुद्दे को दिल्ली सरकार ने गंभीरता से लिया है और इस पर मुहर लगा दी. इस वित्तीय वर्ष में किसानों को खेतों के लिए बिजली अब 120 की जगह केवल 20 रुपये प्रति किलोवाट की दर से मिलेगी. ऐसे में किसानों को प्रति किलोवाट 100 रुपये की बचत होगी.


2018 में दी गई थी 105 रुपये की सब्सिडी


साल 2018 में भी 125 रुपये की दर से बिजली के बिल का भुगतान किसानों को करना पड़ रहा था. इसके एक साल बाद दिल्ली सरकार ने प्रति किलोवाट 105 रुपये सब्सिडी देने की घोषणा की थी. ऐसे में पिछले एक साल के दौरान किसानों से लिया गया पैसा वापस किया गया था. साथ ही प्रति किलोवाट 20 रुपये की दर किसानों को खेती-बाड़ी के लिए बिजली उपलब्ध होने लगी थी, लेकिन पिछले साल बिजली कंपनियों ने गुपचुप तरीके से 120 रुपये प्रति किलोवाट की दर से वसूलना शुरू कर दिया था. मटियाला विधायक गुलाब सिंह कहते हैं कि मुश्किल से दो तीन माह ही किसानों ने बढ़े हुए दर से बिल का भुगतान किया है. अब 20 रुपये प्रति किलोवाट बिजली की आपूर्ति का रेट फिक्स हो गया है और बढ़त का सवाल नहीं है.


11 हजार किसानों को होगा फायदा


नहर में पानी की कमी और बिजली पर निर्भरता के कारण खेती पर लागत बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में प्रति किलोवाट बिजली के रेट में 80 प्रतिशत से ज्यादा की कटौती किसानों को राहत देने वाली है. प्रदेश सरकार के इस निर्णय से दिल्ली के 90 गांवों के करीब 11 हजार किसानों को फायदा होगा. दिल्ली देहात के गांव के एक किसान ने बताया कि चार एकड़ खेत में सिंचाई के लिए कम से कम पांच किलोवाट बिजली का लोड चाहिए. इसके एवज में उन्हें हर माह 600 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है. चाहे वह इस्तेमाल करें या नहीं. इन दिनों खेती का काम बंद है, लेकिन इस दौरान भी बिजली का यह बिल उन्हें चुकाना पड़ता है. 


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