प्रधानमंत्री मोदी ने कल गुरूनानक जयंती के मौके पर देश को संबोधित करते हुए बड़ा एलान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने लंबे समय से चले आ रहे किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून को वापस ले लिया है. मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून के आने के बाद से ही किसान लगातार इसका विरोध कर रहे थे. लंबे समय तक किसान के आंदोलन को देखते हुए आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानून वापस लेकर किसानों को घर वापसी करने को कहा.
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है पर अभी दिल्ली बॉर्डर से हटने से इंकार किया है. दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा की मांगें हैं कि संसद से औपचारिक रूप से कानूनों को रद्द किया जाए. इसके अलावा MSP पर सरकार द्वारा कानून बनाया जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा आज करेगी बैठक
संयुक्त किसान मोर्चा आज आगे की रणनीति तय करने के लिए सिंधु बॉर्डर पर आज प्रमुख नेताओं के साथ नौ सदस्ययी कमिटी की बैठक करेगी. इस के बाद पंजाब के किसान संगठनों की और कल के बाद किसाना मोर्चा की बैठक होगी जिसके बाद किसान नेता यह स्पष्ट करेंगे की आगे की रणनीति क्या होगी और आंदोलन की रूपरेखा कैसी होगी. किसान के रणनीति स्पष्ट होने के बाद ही यह पता चलेगा कि दिल्ली की सीमाओं पर से 1 साल से जमे किसान कब हटेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ''हम तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, इस घोषणा के संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए पूरा होने तक इंतजार करेंगे. आंदोलन सिर्फ नए कृषि कानूनों के खिलाफ ही नहीं था, फसलों के लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग अब भी लंबित हैं.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कल किया था एलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस लेगी और एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति बनाएगी. पीएम ने कहा कि ''इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.’’
उन्होंने आगे कहा, ''मैं देशवासियों से माफी मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य खुद किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए.''
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