Delhi News: सर्विस विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी ने पूरे देश के विपक्षी दलों से समर्थन करने की अपील की थी. इसी बीच 23 जून को पटना में हुई विपक्षीय दलों की बैठक में भी आम आदमी पार्टी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया कि जिन दलों द्वारा राज्यसभा में आम आदमी पार्टी को समर्थन करते हुए इस अध्यादेश के खिलाफ वोट किया जाएगा. पार्टी आगामी चुनाव के साथ-साथ आगे के सियासी सफर में भी उसके साथ जाएगी. वहीं दिल्ली कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सियासी संग्राम दिनों दिन बढ़ता जा रहा है.


विपक्षी दलों की बैठक क्या है आप का स्टैंड?


आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जैस्मिन शाह ने 23 जून को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक को लेकर कहा कि पार्टी ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया था कि यह अध्यादेश केंद्र सरकार के तानाशाही रवैया को दर्शाता है और इसको लेकर सभी प्रमुख दलों को एकजुट होने की आवश्यकता है. 15 दलों की हुई इस बैठक में 12 दलों के सदस्य राज्यसभा में वोट कर सकते हैं जिसमें कांग्रेस को छोड़कर सभी 11 दलों ने आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन दिया. इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की यह मिलीभगत है और आपस में इन दोनों दलों में समझौता हुआ है. इन्हें दिल्ली की जनता के अधिकारों से कोई मतलब नहीं. इसलिए आम आदमी पार्टी ने भी तय कर लिया है कि अध्यादेश मामले से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.


क्या शिमला बैठक में शामिल होगी आप?


जैस्मिन शाह ने कहा कि केंद्र सरकार के तानाशाही रवैया के खिलाफ़ आम आदमी पार्टी ने हमेशा से ही विरोध किया है, लेकिन अब स्पष्ट है कि जब तक हमें अध्यादेश पर सभी दलों का समर्थन नहीं मिल जाता हम ऐसे किसी भी बैठक का समर्थन नहीं करेंगे. अध्यादेश मामले में कांग्रेस पार्टी पहले अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वह राज्यसभा में इसके खिलाफ वोट करेगी या फिर इसके विरोध में लेकिन हमें भी यह जानकारी मिली है कि कांग्रेस पार्टी इस अध्यादेश को लेकर वॉकआउट करने वाली है.


बीजेपी से मिलीभगत कर जनता को गुमराह किया


अध्यादेश मामले में तो दिल्ली कांग्रेस का संविधान का साथ देने की बात कहने पर जैस्मिन शाह ने कहा कि कांग्रेस बिल्कुल गलत कह रही है. भारतीय जनता पार्टी की मिलीभगत से दिल्ली और देश की जनता को गुमराह किया जा रहा है. देश की सबसे बड़ी अदालत के निर्णय को ही पलट दिया गया, यानी सीधे-सीधे संविधान को यहां पर चुनौती दी गई और कांग्रेस पार्टी द्वारा यह कहना कि वह संविधान के साथ है, यह पूरी तरह हास्यास्पद है. अध्यादेश को लाकर दिल्ली के अधिकारों को सीमित कर दिया गया, यह वक्त था कि एकजुट होकर इस अध्यादेश का विरोध किया जाए लेकिन कांग्रेस के लिए अपना हित सबसे ऊपर है.


क्या आम आदमी पार्टी अकेले लड़ेगी चुनाव?


आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जैस्मिन शाह ने कहा कि आज पार्टी ने अपने विचारों और नीतियों के दम पर बेहद कम समय में राष्ट्रीय पार्टी बनने तक का सफर तय किया है. हमें दिल्ली पंजाब के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों में भी जनता का समर्थन और भरोसा प्राप्त हुआ है. हमने किसी को भी नजरअंदाज नहीं किया लेकिन सर्विस विवाद मामले में लाए गए अध्यादेश पर भी इन दलों को ध्यान देना होगा .वैसे अपने चुनावी एजेंडे और विजन के साथ हम विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावी मैदान में उतरेंगे .


बिजली महंगी होने पर कांग्रेस ने आप पर लगाए आरोप


दिल्ली में बिजली महंगी होने पर कांग्रेस ने कहा कि आप निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है. इस कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आप प्रवक्ता जैस्मिन शाह ने कहा कि असलियत यह है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह कंफ्यूज है. हमारे पूरे कार्यकाल को देख लिया जाए कि हमने जो वादे किए हैं उसको पूरा भी किया है. दिल्ली वालों को 24 घंटे बिजली मिल रही है, अभी भी बिजली सब्सिडी मामले में 200 यूनिट पर सब्सिडी जारी है लेकिन 10% प्रतिशत बिजली महंगा होने के पीछे असली वजह कोयला महंगा होना है और यह कांग्रेस पार्टी को नहीं पता होगा.


‘बीजेपी अशिक्षित लोगों की पार्टी’


बिजली महंगी होने पर BJP ने आप पर दिल्ली की जनता को ठगने का आरोप लगाया है. जिसपर  आप प्रवक्ता जैस्मिन शाह ने कहा कि बीजेपी अशिक्षित लोगों की पार्टी है, यही वजह है कि खुद की जिम्मेदारी तय करने की बजाय दूसरे पर आरोप मढ़कर चर्चा में बना रहना ही इनकी पहचान बन चुकी है. 75 सालों के इतिहास में पहली बार देश में कोयले की कमी हुई है जिसकी वजह से दिल्ली में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी बिजली के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. दिल्ली ही एक ऐसा प्रदेश है जहां पर सबसे कम बिजली की कटौती हो रहीं है और बिजली के दामों में जो बढ़ोतरी भी हुई है वह दूसरे राज्यों की तुलना में काफी कम है. लेकिन क्या केंद्र सरकार और उनके मंत्रियों की जवाबदेही तय होगी कि आखिर में देश में कोयले की कमी क्यों हो गई. आज हमारा देश इस हालत में आ गया कि दूसरे राज्यों से कोयला को आयात करना पड़ रहा है. औए यह बताने के लिए भी पर्याप्त है कि देश और दिल्ली की जनता को कौन ठगने का काम कर रहा है.


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