Kapil Sibal News: कपिल सिब्बल देश के एक अनुभवी और कद्दावर राजनेता ही नहीं, वो कानून के गिने-चुने जानकारों में से भी एक हैं. यही वजह है कि जब वह कुछ बोलते हैं तो उनके बोलने के अपने अलग मायने होते हैं. चाहे बात विपक्ष को एकजुट करने की हो, कांग्रेस को पुनर्जीवित करने या G-23 यानी कांग्रेस के असंतुष्ट गुट के असफल प्रयास की बात हो. हर मसले पर वह नाप तौलकर बोलते हैं, जिसे खारिज करना लगभग मुश्किल होता है. हाल ही में एबीपी लाइव से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने खुलकर अपनी बाते रखीं.
उन्होंने वर्तमान सरकार की कार्यशैली और विपक्षी एका के सवाल पर कहा कि जहां तक मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय लोकतंत्र के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से पार पाने के लिए विपक्षी एकता की बात है तो इसको लेकर उन्होंने सबसे खुद भी पहल की थी. गौतम अडानी मसले पर भी उनका कहना है कि अगर पूरा विपक्ष जेपीसी चाहता है तो जेपीसी गठित होनी चाहिए. लेकिन अहम सवाल यह है कि विपक्ष की एकता का कन्वीनर कौन बने. इस पर फैसला होना जरूरी है. कन्वीनर कौन बने, इसके बारे में निजी तौर पर मैं कुछ नहीं कह सकता. इस मसले पर तो विपक्ष को मिलकर तय करना होगा. सभी सियासी दलों यह तय करना है कि बीजेपी के नापाक मंसूबों के खिलाफ कैसे आगे बढ़ा जाए? हां, इस राह में मैं एक साधन बनने के लिए तैयार हूं.
'डबल इंजन नहीं, डबल बैरल की सरकार'
इस मसले पर बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि मैं चाहता हूं विपक्ष एक मंच पर आए. मैंने इसको लेकर एक शुरुआत की भी थी. इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए insafkesipahi.co.in. नाम से एक प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया था. इंसाफ के सिपाही इसलिए कि हर पॉलिटिकल पार्टी के खिलाफ अन्याय हो रहा है. मोदी सरकार का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानून का सीमा से परे जाकर दुरुपयोग करने पर उतारू है. पीएम नरेंद्र मोदी सभी जगह जाकर कहते हैं कि हम डबल इंजन सरकार चाहते हैं. जिस तरह ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग हो रहा है, यह डबल बैरल सरकार है.
'सही नहीं, जो हो रहा है वो गलत है'
इसी तरह मनीष सिसोदिया को जेल भेजने पर कांग्रेस के नेताओं का यह बयान कि जो हो रहा है वो ठीक हो रहा है, के जवाब में उन्होंने कहा कि हाल ही में खरगे साहब ने कहा है कि जो हो रहा है, गलत हो रहा है. बेल न देने का क्या मतलब है? सिसोदिया के मसले पर सुनवाई ही नहीं हो रही है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर किया है कि कम से कम उसे सुनो तो सही. एक आदमी पर चार्जशीट फाइल हो गई तो आप उसे अंदर ही रखोगे? इसलिए ऐसा हो रहा है ताकि सरकार ही चल न सके. आपने सरकार के दोनों प्रमुख मंत्रियों को अंदर रखा है और कोई इन्वेस्टिगेशन होना नहीं है. अब आप उन्हें और कितने दिन अंदर रख सकोगे? इस मसले पर विपक्ष को एक सुर में बात करने की जरूरत है.
'पहले AAP जो ने किया वही आज BJP कर रही'
अगर, उनपर लगे आरोपों की बात है तो इस तरह के आरोप कांग्रेस पर भी लगे थेत्र तब वह भी सरासर गलत था. तब जन लोकपाल बिल की बात कही जाती थी, आज जन लोकपाल का क्या हुआ? वर्तमान सरकारों की यह राजनीतिक खोखलापन है. पहले जो आरोप आप लगा रही थी, आज वही काम बीजेपी कर रही है. भ्रष्टाचार तो तब माना जाएगा जब जब कोर्ट में आरोप साबित हो जाए.
क्या Congress पर लगे आरोप साबित हुए
आप के कौन से आरोप सही साबित हुए. कांग्रेस के का काल में टेलीकॉम घोटाले की बात कही जा रही थी, जिसके खिलाफ बहुत रोष था. क्या वह सही साबित हुआ? इस देश में लोकतंत्र की बुनियाद आज बदल चुकी है. जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है. कहने का मतलब यह है कि उस समय कुछ गलत हुआ था तो आज भी वही होना चाहिए क्या? यह कैसा तर्क है? पहले और अब को बात छोड़ दो. क्या पहले कभी ऐसे एनकाउंटर होते थे? क्या कभी इतना ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग हुआ? साल 2017 से लेकर अब तक करीब 125 लोगों की जांच हो रही है. इसमें 118 लोग विपक्ष के हैं.
आपको दुनिया भर में ऐसा कोई शासन नहीं मिलेगा, जहां गलत काम न हुए हों. खास यह है कि आज विपक्ष एक साथ बोल रहा है, लेकिन सरकार सही ट्रैक पर चलने के लिए तैयार नहीं है. स्पीकर साहब सदन को चलने नहीं देते. क्या कभी पहले ऐसा हुआ है कि फाइनेंस एक्ट में ऐसा कानून पारित करवाया गया, जिसका फाइनेंस से कोई लेना-देना ही न हो. मैं आपको कई ऐसी बातें बता सकता हूं जो कभी पहले हुई ही नहीं.
मेरी विचारधारा आज भी कांग्रेस ही है
इसी तरह कांग्रेस के असंतुष्टा गुट G-23 को लेकर उनका कहना है कि उसमें तो कुछ नहीं हुआ. कुछ हुआ होता, तो यह नतीजा नहीं होता. हां, इस मसले पर आज में बात नहीं कर सकता. तब मैं कांग्रेस में था. आज कांग्रेस में नहीं हूं. मेरा कांग्रेस के बारे में बोलना उचित नहीं होगा. इतना जरूर कहूंगा, मेरी विचारधारा आज भी कांग्रेस से ही जुड़ी हुई है. हो सकता है कि मैं पार्टी में नहीं हूं, लेकिन मेरी विचारधारा कांग्रेस की ही है. मैं उस विचारधारा की हमेशा रक्षा करूंगा. मुझे किसी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करनी. राजनीति में ऐसा नहीं होना चाहिए. वर्तमान में जिस तरह का माहौल है, वैसा नहीं होना चाहिए. देश एक परिवार जैसा होता है. एक छोटा-सा परिवार है. परिवार में जब लोग एक साथ नहीं चलेंगे तो परिवार कभी सफल नहीं हो सकता.
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