20-25 मिनट में बना देता था नकली वीजा स्टिकर, अब पुलिस ने पकड़ा, हैरान कर देगी पूरी कहानी
Delhi News: दिल्ली पुलिस ने एक फर्जी वीजा फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से भारी मात्रा में फर्जी वीजा बरामद किए गए हैं.
Fake Visa Case: दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट थाने की पुलिस ने एक ऐसी फैक्ट्री का खुलासा किया है, जहां खाने-पीने या किसी अन्य प्रकार का नकली समान नहीं बल्कि फर्जी वीजा बनाने का काम किया जाता था. इस मामले में पुलिस ने फर्जी वीजा फैक्ट्री मालिक और एजेंट समेत कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
जिनकी पहचान, दिल्ली के मनोज मोंगा, बलबीर सिंह, नेपाल के शिवा गौतम उर्फ नेपाली और हरियाणा के नवीन उर्फ राणा, जसविन्दर सिंह उर्फ मिंटी, आसिफ अली और संदीप के रूप में हुई है. रोम जाने का था प्लान, एयरपोर्ट पर पकड़ा गया, फिर
डीसीपी उषा रंगनानी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि 2 सितंबर को हरियाणा के कुरुक्षेत्र का रहने वाला एक यात्री संदीप इटली की राजधानी रोम जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पर डिपार्चर इमिग्रेशन काउंटर पर पहुंचा था.
इमिग्रेशन जांच के दौरान जब उसके यात्रा दस्तावेजों की जांच की गई तो उंसके पासपोर्ट पर चिपके स्वीडिश वीजा के फर्जी होने का पता चला. जिस पर उसे आईजीआई एयरपोर्ट थाने की पुलिस के हवाले कर दिया गया. पुलिस ने आरोपी यात्री से पूछताछ में मिली जानकारी और उसके कबूलनामे के आधार पर उसके खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया.
रोम भेजने के लिए 10 लाख में हुई थी डील
आगे की जांच और पूछताछ में उसने बताया कि उसके गांव के काफी लड़के विदेश जा चुके हैं, जहां वे अच्छी कमाई कर बेहतर जिंदगी जी रहे हैं. जिस पर उसने भी अच्छी लाइफस्टाइल के लिए विदेश जाने का निर्णय लिया. इसके लिए वह एजेंट आसिफ अली के के संपर्क में आया, जिससे उसे, उंसके गांव के पास ही रहने वाले मनजोत नाम के शख्स ने मिलवाया था. उसे भरोसा दिलाया था कि वह उसे यूरोप भेज देगा.
इसके लिए 10 लाख रुपये में डील तय हुई थी. इसके लिए उसने एजेंट के बताए गए दो एकाउंट में 7 लाख रुपये जबकि 50 हस्जर रुपये कैश में बतौर अग्रिम भुगतान किया.
जिसके बाद तय डील के अनुसार आरोपी एजेंट आसिफ अली ने उसके सहयोगियों नवीन राणा और शिवा गौतम की सहायता से उंसके लिए स्वीडिश वीजा और रोम की यात्रा टिकट की व्यवस्था की. लेकिन इससे पहले की वह रोम के लिए उड़ान भर पाता, एयरपोर्ट पर डॉक्यूमेंट की जांच के दौरान फर्जी दस्तावेजों का पता चलने पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे दबोच लिया.
एक के बाद एक करके दबोचे पांच एजेंट
आरोपी यात्री के खुलासे पर पुलिस ने आरोपी एजेंट आसिफ अली, नवीन राणा और शिवा गौतम को दबोच लिया. पूछताछ में एजेंट शिवा गौतम ने इसमें आंशिक रूप से लकवाग्रस्त एक 65 वर्षीय एजेंट बलबीर सिंह की संलिप्तता का खुलासा किया. जिसने जांच में शामिल होकर पुलिस को बताया कि वह फर्जी वीजा जसविंदर सिंह नाम के एजेंट से प्राप्त करता था. जिसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
उसने खुलासा किया कि वह कई देशों की फर्जी वीजा स्टिकर को डिजाइन करने और बनाने में एक्सपर्ट है और तिलक नगर के अशोक नगर में अपने घर पर ही फर्जी वीजा स्टिकर बनाने की फैक्ट्री चलाता है.
उक्त एजेंट के खुलासे पर तुरंत ही एसीपी आईजीआई के देखरेख और एसएचओ सुशील गोयल के नेतृत्व में एसआई मदनलाल, हेड कॉन्स्टेबल विनोद कुमार, विनोद पांडेय और कॉन्स्टेबल नितिन की टीम का गठन किया गया. टीम ने टेक्निकल सर्विलांस और लोकल इंटेलिजेंस की सहायता से छापेमारी कर मनोज मोंगा को उसके घर सह फर्जी वीजा फैक्ट्री को जब्त कर लिया.
आरोपी कोरल ड्रॉ, फोटोशॉप और ग्राफिक डिजाइनिंग में एक्सपर्ट
आरोपी मनोज मोंगा ने अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए बताया कि उसके पास डेस्कटॉप पब्लिशिंग में डिप्लोमा है और वह कोरल ड्रॉ, फोटोशॉप और ग्राफिक डिजाइनिंग में अत्यधिक कुशल है. पिछले 20 वर्षों से वह बैनर और पोस्टर बनाने के व्यवसाय में फ्लेक्स प्रिंटिंग से जुड़ा हुआ था. अपनी विशेषज्ञता के बावजूद, उसे अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त पैसे कमाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा.
करीब पांच साल पहले वह जयदीप सिंह नाम के एक शख्स के संपर्क में आया, जिसने उसे जल्दी और आसानी से पैसे कमाने के लिए नकली वीजा बनाने के काम में अपने हुनर का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया. जयदीप सिंह ने ही उसे एम्बॉसिंग डाई, रबर स्टैम्प, वीजा स्टिकर, ऑफिस स्टेशनरी और कई तरह के ऑफिस इलेक्ट्रॉनिक्स समेत जरूरी उपकरण मुहैया कराए और उसने घर में ही नकली वीजा बनाने की फैक्ट्री शुरू कर दी.
20-25 मिनट में ही बना सकता है नकली वीजा स्टिकर
शुरुआत में जयदीप सिंह नकली वीजा के लिए ऑर्डर देता था और उसे उन लोगों के जरूरी फॉर्मेट और व्यक्तिगत विवरण भी मुहैया करता था जिनका जाली वीजा बनाना होता था. समय के साथ उसके बारे में अन्य एजेंटों को भी पता चला और उसे फ्रीलांस एजेंटों से भी नकली वीजा, स्थायी निवास कार्ड और इसी तरह के दस्तावेजों के लिए ऑर्डर मिलने लगे.
मनोज मोंगा ने खुलासा किया कि वह अपने हुनर में इतना माहिर हो गया था कि वह औसतन 20-25 मिनट में ही नकली वीजा स्टिकर बना सकता था. उसकी फैक्ट्री से नकली वीजा और कार्ड बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की बड़ी खेप बरामद की गई है.
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