सड़क हादसे में मारी गई वंशिका के परिवार ने दान की उसकी आंखें, रिसर्च और पढ़ाने के लिए शव देने पर भी कर रहे हैं विचार
Delhi News: दिल्ली के पश्चिम विहार में हुए सड़क हादसे में वंशिका के साथ उसकी बेस्ट फ्रेंड मानवी की भी मौत हो गई थी. मानवी के पिता दानवीर बिजनौर के रहने वाले हैं और खेती-किसानी करते हैं.
वंशिका मिश्रा की दिल्ली में हुए एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी.इस हादसे में उनकी बेस्ट फ्रेंड मानवी की भी मौत हो गई थी. वंशिका की मौत के बाद उनके परिवार उनकी आंखें दान कर दी हैं. उनका परिवार वंशिका का शव भी कानपुर के अस्पताल को देने का विचार कर रहा है, जिससे मेडिकल के छात्र उससे अपनी पढ़ाई और रिसर्च कर सकें.
परिवार का क्या कहना है
'टाइम्स ऑफ इंडिया' को वंशिका के एक रिश्तेदार आशीष कुमार मिश्रा ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मौत के बाद भी वंशिका किसी की मदद कर गई, हम उसे हमेशा याद करेंगे. आशीष ने बताया कि वंशिका के परिवार को लगा कि इस तरह के वह किसी के आंखों की रोशनी बनकर जिंदा रहेगी. वंशिका की मां ने बताया कि उनका परिवार उसका शव कानपुर के एक अस्पताल को देने पर विचार कर रहे हैं, जिससे छात्र उस पर पढ़ाई और शोध कर सकें.
आशीष ने बताया कि वंशिका पढ़ाई में काफी होनहार थी. उसने सोमवार को होने वाले एक प्रजेंटेशन की काफी तैयारी की थी. वह 23 दिसंबर को होने वाली एक परीक्षा की भी तैयारी कर रही थी.वंशिका के पिता एक चार्टेड एकाउंटेंट के ऑफिस में चपरासी का काम करते हैं.वो अपने परिवार के साथ एक समारोह में भाग लेने के लिए अगले साल जनवरी में कानपुर जाने वाली थी.
एक पिता का दर्द
दिल्ली के पश्चिम विहार में हुए सड़क हादसे में वंशिका के साथ उसकी बेस्ट फ्रेंड मानवी की भी मौत हो गई थी. मानवी के पिता दानवीर बिजनौर के रहने वाले हैं और खेती-किसानी करते हैं. वो बताते हैं कि मानवी पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करना चाहती थी. मानवी की मां रीता चौहान ने बताया कि उनकी बेटी को अपनी किताबों से बहुत लगाव था और वह रविवार को भी ट्यूशन पढ़ने जाती थी.
मानवी के पिता को इस बात का दुख साल रहा है कि वो अपनी बेटी से दो महीने से नहीं मिले थे.वो कहते हैं कि मैं अपने खेती-बाड़ी के काम में व्यस्त थे, क्योंकि इससे ही वो अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे का इंतजाम कर पाते हैं.वो बताते हैं कि उन्होंने मानवी को दो महीने पहले देखा था, लेकिन अब मैं उसका चेहरा कभी भूल नहीं पाउंगा. दानवीर कहते हैं कि वो नहीं जानते हैं कि अपनी बेटी के बिना जिंदा कैसे रहेंगे.
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