प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 3 विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की. इससे सरकार और किसानों के बीच साल भर से चल रहे टकराव के खत्म होने की उम्मीद बनी है. कृषि कानूनों के खिलाफ इस आंदोलन में अबतक 700 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. इन कानूनों ने किसानों में यह चिंता पैदा हुई कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी खत्म हो जाएगी. उन्हें लगता है कि इन कानूनों के लागू होने के बाद किसानों को उद्योगपतियों की दया पर छोड़ दिए जाएगा. आइए जानते हैं कि इन कानूनों के बनने और रद्द करने की घोषणा तक क्या-क्या हुआ है.
- 5 जून 2020: सरकार ने तीन कृषि विधेयकों की घोषणा की.
- 14 सितंबर 2020: तीन कृषि कानूनों के विधेयक संसद में लाए गए.
- 17 सितंबर 2020: लोकसभा में विधेयक पारित.
- 20 सितंबर 2020: राज्यसभा में ध्वनि मत से विधेयक पारित.
- 24 सितंबर 2020: पंजाब में किसानों ने तीन दिन के रेल रोको आंदोलन की घोषणा की.
- 25 सितंबर 2020: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की अपील पर देशभर के किसान प्रदर्शन में जुटे.
- 26 सितंबर 2020: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कृषि विधेयकों पर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को छोड़ा.
- 27 सितंबर 2020: कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी. भारत के गजट में अधिसूचित करने के साथ ये कृषि कानून बन गए.
- 25 नवंबर 2020: पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने 'दिल्ली चलो' आंदोलन की अपील की. दिल्ली पुलिस ने कोविड-19 के कारण अनुमति नहीं दी.
- 26 नवंबर 2020: दिल्ली की ओर मार्च करने वाले किसानों को हरियाणा के अंबाला जिले में पुलिस ने खदेड़ने की कोशिश की. किसानों ने पानी की बौछारों, आंसू गैस का सामना किया.
- 28 नवंबर 2020: गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं से पेशकश की कि अगर वे दिल्ली की सीमाओं को खाली करते हैं और बुराड़ी में निर्धारित प्रदर्शन स्थल पर जाते हैं तो जल्द ही उनसे बातचीत की जाएगी. किसानों ने शाह की पेशकश ठुकराई.
- 3 दिसंबर 2020: सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले चरण की वार्ता की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही.
- 5 दिसंबर 2020: किसानों और केंद्र के बीच दूसरे चरण की वार्ता भी बेनतीजा रही.
- 8 दिसंबर 2020: किसानों ने भारत बंद की अपील की. अन्य राज्यों के किसानों ने भी उन्हें समर्थन दिया.
- 9 दिसंबर 2020: किसान नेताओं ने तीन विवादास्पद कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
- 11 दिसंबर 2020: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
- 13 दिसंबर 2020: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसानों के प्रदर्शन में 'टुकड़े टुकड़े' गिरोह का हाथ है.
- 30 दिसंबर 2020: सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता कुछ आगे बढ़ती दिखी.
- 4 जनवरी 2021: सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने पर राजी नहीं हुआ.
- 7 जनवरी 2021: सुप्रीम कोर्ट नए कानूनों को चुनौती देने वाली और प्रदर्शनों के खिलाफ याचिकाओं पर 11 जनवरी को सुनवाई के लिए राजी हो गया.
- 11 जनवरी 2021: सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके को लेकर केंद्र की खिंचाई की.
- 12 जनवरी 2021: सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई, कानूनों पर सिफारिशें देने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की.
- 26 जनवरी 2021: गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा बुलाई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई. लाल किले पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.
- 29 जनवरी 2021: सरकार ने डेढ़ साल के लिए कृषि कानूनों को स्थगित करने और कानून पर चर्चा के लिए संयुक्त समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया. किसानों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया.
- 5 फरवरी 2021: दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने किसान प्रदर्शनों पर एक ‘टूलकिट’ बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे युवा पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था.
- 6 फरवरी 2021: प्रदर्शनरत किसानों ने दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक तीन घंटों के लिए देशव्यापी 'चक्का जाम' किया.
- 6 मार्च 2021: किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए 100 दिन पूरे हुए.
- 8 मार्च 2021: सिंघु बॉर्डर प्रदर्शन स्थल के समीप गोलियां चलीं. कोई घायल नहीं हुआ.
- 15 अप्रैल 2021: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे किसानों के साथ वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया.
- 27 मई 2021: किसानों ने आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर 'काला दिवस' मनाया और सरकार के पुतले जलाए.
- 5 जून 2021: प्रदर्शनरत किसानों ने कृषि कानूनों की घोषणा के एक साल होने पर संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस मनाया.
- 26 जून 2021: किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के सात महीने होने पर दिल्ली की ओर मार्च किया.
- 22 जुलाई 2021: करीब 200 प्रदर्शनकारी किसानों ने 'मानसून सत्र' की तरह संसद भवन के समीप किसान संसद शुरू की.
- 7 अगस्त 2021: 14 विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन में मुलाकात की और दिल्ली के जंतर-मंतर में किसान संसद में जाने का फैसला लिया.
- 5 सितंबर 2021: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ महीने बाकी रहने पर बीजेपी नीत राजग को चुनौती देते हुए किसान नेताओं ने मुजफ्फरनगर में ताकत का बड़ा प्रदर्शन किया.
- 22 अक्तूबर 2021: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उसके विचाराधीन मामलों पर भी प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार के खिलाफ नहीं है. लेकिन उसने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रदर्शनकारी अनिश्चितकाल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते.
- 29 अक्तूबर 2021: दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से अवरोधक हटाने शुरू किए, जहां केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देश को संबोधित किया. इसमें उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने की कार्यवाही संसद के शीतकालीन सत्र में शुरू की जाएगी