पिछले साल आज ही के दिन केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू हुआ था. आज इस किसान आंदोलन को पूरा एक साल हो गया है. इस मौके पर हरियाणा, पंजाब और देश के कई इलाकों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर एकजुट हुए हैं. दरअसल किसान अब आगे की रणनीति तय करेंगे.
सरकार को एमएसपी पर गारंटी देनी पड़ेगी
वहीं किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जो किसान शहीद हो गए हैं उन्हें याद कर रहे हैं. तीन काले कानून और कोरोना एक साथ आए थे वो बीमारी थी , वो खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी मंजिल बाकी है. सरकार को एमएसपी पर भी गारंटी देनी पड़ेगी.
हमारी मांगों में से बहुत सारी मांग पीएम भूल गए- योगेंद्र यादव
वहीं किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि आज संविधान दिवस है. पिछले साल इस दिन को हमने इसलिए चुना था कि किसान अपने अधिकार पा सके. संघर्ष का एक साल, सफलता का एक साल रहा. आज जश्न मनाने का दिन है. उन्होंने कहा कि कायदा ये कहता था कि 11 बार किसानों से बात हुई थी. 12वीं बार भी होती और फैसला होता. अहम है कि हमने जो सारी मांगे की थी उनमें बहुत मांगे पीएम भूल गए. उन्होंने कहा कि सरकार हमें वो गिफ्ट दे दो जो हम मांग रहे हैं. हमें एमएसपी का कानून दिया जाए. - एमएसपी का सवाल करोडों किसानों के लिए अस्तित्व का सवाल है. किसान नेता योगेंद्र यादव ने आगे कहा कि अन्नदाताओं के पेट का सवाल है. संघर्ष हम छोड नहीं सकते, स्वरूप क्या होगा उस पर चर्चा बाद में होगी. लेकिन एमएसपी के सवाल को नहीं छोड़ेंगे.
वाजिब मूल्य की खरीद की गारंटी चाहिए
वहीं उन्होने कहा कि हम वाजिब मूल्य की खरीद की गारंटी चाहते हैं कि 1940 धान पर एमएसपी है तो वो किसान को मिले. टोटल 9 लाख करोड इस देश की सारी फसलों की कीमत है. सरकार खरीदेगी तो 9 लाख करोड खर्च होगा. वो तब होगा जब सरकार खरीदकर फसलों में आग लगा दे. खरीदेगी तो बेचेगी भी तो सरकार. एमएसपी का फर्क है. 50 हजार करोड सरकार को जेब से देना होगा. देश के बजट का ये 1.6 प्रतिशत है. साठ प्रतिशत के लिए क्या इतना पैसा खर्च नहीं कर सकते.
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