Delhi News: दिल्ली दंगे में पड़ोसियों के घर और दुकान जलाने के मामले में दोषी पाए गए पिता पुत्र, अदालत ने सुनाई सजा
कोर्ट ने कहा हमारा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष है. देश की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भाईचारा सबसे महत्वपूर्ण है.सांप्रदायिक दंगा हमारे देश के नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना के लिए खतरा है.
Delhi Riot News: उत्तर पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके 25 फरवरी 2020 में हुए दंगे के दौरान पड़ोसियों के घर और दुकान जलाने के दो मामलों में शुक्रवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिता-पुत्र की जोड़ी को सजा सुनाई. कोर्ट ने दोनों मामलों में दोषी जानी कुमार को सात वर्ष और उसके पिता मिट्ठन को तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही जानी पर इन मामलों में 25-25 हजार रुपये और उसके पिता पर 50-50 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मिट्ठन ने एक अच्छे पिता की भूमिका नहीं निभाई. अपने बेटे को सही रास्ता दिखाने के बदले उसने खुद उसके साथ मिलकर खौफनाक काम किया.
कोर्ट ने कहा- सांप्रदायिक दंगा हमारे देश के नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना के लिए खतरा है
कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना को संदर्भित करते हुए अपने आदेश में कहा कि हमारा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष है. देश की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भाईचारा सबसे महत्वपूर्ण है. भाईचारे की भावना को चुनौती देना हमारी अखंडता के लिए भी चुनौती है. सांप्रदायिक दंगा हमारे देश के नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना के लिए खतरा है. दंगे सार्वजनिक अव्यवस्था का सबसे हिंसक रूप हैं, जो संपूर्ण समाज को प्रभावित करता है. इससे न केवल जीवन और संपत्ति की हानि होती है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी बहुत नुकसान पहुंचाता है.
इस दौरान निर्दोष लोग ऐसे परिस्थितियों की चपेट में आ जाते हैं, जो उनके नियंत्रण से बाहर होती हैं. इस मामले में दोषी सांप्रदायिक दंगे में संलिप्त रहे, जिसका प्रभाव न केवल प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों तक सीमित था, बल्कि इसने समाज में क्षेत्र की सीमा से परे लोगों की मानसिकता को प्रभावित किया. इस प्रकार इस मामले में दोषियों द्वारा किए गए अपराध का प्रभाव केवल शिकायतकर्ता को हुए नुकसान तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनकी हरकतों ने हमारे राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने, अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर एक गहरा दाग छोड़ा है. इनके कृत्यों ने सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालते हुए लोगों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा की है. कोर्ट ने आरोपितों के वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि अदालतें केवल मामले का निर्णय करने के लिए होती हैं, न कि समाज को संदेश देने के लिए. कोर्ट ने आदेश में कहा कि अदालत सजा तय करते समय समाज के मनोविज्ञान को ध्यान में रखती है. यह देखा जाता है कि अपराध का उस पर क्या प्रभाव पड़ा.
दंगे में घर ले लूटपाट कर आग लगाने का मामला
मामला 25 फरवरी 2020 का है, जब दंगाइयों ने खजूरी खास की गली नंबर- चार में शबाना, ताहिर, अंजारी खातून समेत सात लोगों के घर में लूटपाट कर आग लगा दी थी. मामले में कोर्ट ने पिता-पुत्र को 17 अप्रैल को दोषी ठहराया था. खजूरी खास की ही गली नंबर-29 में रहने वाले आमिर हुसैन की दुकान जलाने के दूसरे मामले में पिता-पुत्र को 28 मार्च को दोषी करार दिया था. दोनों मामलों में पुलिस कर्मियों की गवाही अहम मानते हुए पिता-पुत्र को दोषी करार दिया था.