Delhi News: दिल्ली सेवा कानून लागू होने के बावजूद भले ही आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सियासी टकराव पहले की तरह जारी है, लेकिन पर्दे के पीछे से इसमें बड़े बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. ऐसा इसलिए कि पिछले नौ साल से दिल्ली की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस पर पूरी तरह से हावी आप नेताओं के तेवर बुधवार को विधानसभा (Delhi Assembly Session) सत्र के पहले दिन बदले बदले से नजर आये. आप विधायकों (AAP MLA) के न केवल अपनी भाषा को संयमित रखा बल्कि सीधे केंद्र सरकार पर हमला बोलने के बदले दिल्ली के नौकरशाहों को विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा बताते रहे. 


आप का यह रुख केवल विधानसभा में नहीं, बल्कि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार के बदले से रवैये से भी साफ है. देश की राजधानी में इसे दिल्ली सेवा कानून लागू होने का असर माना जा रहा है. दिल्ली के सियासी जानकारों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने अपनी रणनीति बदल दिए हैं. यही वजह है कि दिल्ली सरकार में दूसरे दर्जे की मंत्री आतिशी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि हमारी सरकार दिल्ली सेवा कानून का सम्मान करेगी. साथ ही दिल्ली में विकास कार्यों को बढ़ा देने के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी (NCSSA) की बैठकें भी निरंतर होगी. हालांकि, दिल्ली सेवा कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है, लेकिन जब तक शीर्ष अदालत का फैसला नहीं आ जाता, तब तक हम दिल्ली सेवा कानून पर अमल करेंगे. 


सदन में इन मसलों पर AAP विधायक देते रहे जोर


दूसरी तरफ दिल्ली विधानसभा में आपके विधायकों ने दो दिवसीय सत्र के पहले दिन मणिपुर हिंसा, नूंह हिंसा, दिल्ली सेवा कानून व बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करने के बजाय सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली पेयजल समस्या, सीवर समस्या,  सड़कों के विस्तारीकरण और मरम्मत, ट्रैफिक जाम, परिवहन व्यवस्था जैसे मुद्दों को उठाते रहे. यहां पर चौंकाने वाली बात यह है कि इसके लिए आम आदमी पार्टी के नेता पहले की तरह बीजेपी या केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराने से बच रहे हैं. मटियाला से विधायक कैलाश गहलोत, जनकपुरी से राजेश ऋषि, किरारी से विधायक ऋतुराज गोविंद झा, बवाना से मोहिंदर गोयल, ग्रेटर कैलाश से विधायक व मंत्री सौरभ भारद्वाज, भूपिंदर सिंह जून, करतार सिंह तंवर आदि ने बुधवार को सदन में अधिकारियों की लेटलतीफी और काम में बाधा डालने के रवैये को दिल्ली में कामकाज न होने के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे. बता दें कि दिल्ली सेवा कानून लागू होने से पहले तक आप नेता बीजेपी को हर बात के लिए ​जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. इतना ही नहीं, बुधवार को सदन में आप नेता बीजेपी विधायकों से उलझने से भी बचते रहे. हालांकि, सदन में बहस के दौरान रुक रुकर नोंकझोंक होती रही, लेकिन पहले की तरह सदन एक बार भी ठप नहीं हुआ. 


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