Delhi News: दिल्ली नगर निगम में सबसे पावरफुल स्टैंडिंग कमेटी को माना जाता है. इसके बावजूद दिल्ली के एलजी और सीएम के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर जारी विवादों की वजह से स्टैंडिंग कमेटी गठन की दिशा में अभी तक कोई कदम उठाना संभव नहीं हो पा रहा है. अभी तक स्टैंडिंग कमेटी के 18 में से छह सदस्यों का चुनाव ही अभी तक संपन्न हो पाया है. इसके लिए भी दिल्ली हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था. दिल्ली हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 3 सदस्य भारतीय जनता पार्टी और 3 सदस्य आम आदमी पार्टी से चुने गए.
इसके अलावा, न्यायालय ने यह आदेश भी जारी किया था कि दोबारा स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव नहीं होगा. स्टैंडिंग कमेटी बनाए जाने के लिए जोन से 12 पार्षदों का चुना जाना आवश्यक है. ऐसे में दिल्ली एलजी और दिल्ली सरकार के विवादों के बीच स्टैंडिंग कमेटी का गठन पूरी तरह उलझा पड़ा है. अगर एलजी और सीएम के बीच विवाद लंबा खिचा तो हाल फिलहाल में निगम के 12 जोनों से एक-एक सदस्यों का चुनाव होना संभव नहीं है.
दिल्ली नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी का गठन तभी संभव है जब दिल्ली के निचले सदन में एल्डरमैन को चुनने के बाद 12 पार्षदों को चुना जाएगा. फिलहाल, एल्डरमैन की नियुक्ति का मामला एलजी और दिल्ली सरकार के बीच छिड़े विवादों की वजह से सुप्रीम कोर्ट में है. ऐसे में उम्मीद लगाया जा रहा था कि एल्डरमैन चुने जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट से आने वाले निर्णय के बाद जुलाई महीने तक हल हो सकेगा लेकिन जुलाई बीत जाने के बाद अगस्त महीने में भी सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर निर्णय स्पष्ट हो सकेगा कि नहीं, यह स्पष्ट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट से इस पर फैसला आने में अभी वक्त लगेगा.
5 करोड़ के 100 ज्यादा प्रोजेक्ट अधर में
बता दें कि एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी का गठन न होने की वजह से मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं. इसकी प्रमुख वजह यह है कि दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसार 5 करोड़ के अधिक के प्रोजेक्ट तब तक पास नहीं हो सकते जब तक उन्हें सदन के पटल पर नहीं रखा जाएगा और सदन में रखने से पहले उन्हें स्टैंडिंग कमेटी से पास कराना होता है. यानी जब तक स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो जाता तब तक दिल्ली के विकास कार्यों में वह आवश्यक गति नहीं मिल पाएगी, जो विकास कार्यों से संबंधित परियोजनाओं पर अमल के लिए जरूरी है. दिल्ली के निर्वाचित पार्षदों के अनुसार लगभग सैकड़ों ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो स्टैंडिंग कमेटी गठित ना होने की वजह से प्रभावित हैं.