G20 Summit: 'वेस्ट टू वंडर' कॉन्सेप्ट पर दिल्ली में बन रहा है जी20 पार्क, जानें- क्या है इसकी खासियत?
Delhi G20 Park: एनडीएमसी अब जी20 समर्पित एक पार्क का निर्माण कार्य शुरू कर चुकी है. यह स्थाई तौर पर दिल्ली में जी20 की महत्ता और सदस्य देशों के बारे में लोगों को जानकारियां देगा.
G20 Summit News: भारत की अध्यक्षता में इस साल जी20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें सदस्य देशों सहित अलग-अलग अतिथि देशों के मेहमान पहुंचेंगे. इस सम्मेलन के लिए देश में पिछले साल से ही तैयारियां चल रही हैं. देश पिछले साल 1 दिसम्बंर से 30 नवंबर तक जी20 वर्ष मना रहा है. इस सम्मेलन में आम जनों की भागीदारी को बढ़ाने और सदस्य देशों की सभ्यता-संस्कृति से लोगों को जानकार बनाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. इसमें नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) अग्रणी भूमिका निभा रही है. अब तक कई सफल आयोजन एनडीएमसी की ओर से किए जा चुके हैं. इनमें जी20 फूड फेस्टिवल, फ्लावर फेस्टिवल, विंटेज कार रेस आदि शामिल रहे हैं.
इसी कड़ी में एनडीएमसी अब जी20 समर्पित एक पार्क का निर्माण कार्य शुरू कर चुकी है. यह स्थाई तौर पर राजधानी में जी20 की महत्ता और सदस्य देशों के बारे में लोगों को जानकारियां देगा. इस पार्क को दिल्ली के अन्य पार्कों से अलग हट कर बनाया जा रहा है. इसमें हरियाली और सुंदरता के साथ अलग-अलग प्रकार को सविधाएं होंगी. साथ ही लोगों को इस पार्क के माध्यम से सदस्य देशों और उनके राष्ट्रीय पशु-पक्षियों के बारे में जानकारी दी जाएगी.
पशु-पक्षियों की प्रतिमूर्ति को होगा प्रदर्शन
इस पार्क में जी20 देशों के राष्ट्रीय पशु-पक्षियों की प्रतिमूर्ति स्थापित की जाएगी. इसे देख कर लोग अपनी जानकारी को बढ़ा पाएंगे. खास बात यह है कि इस पार्क में स्थापित किए जाने वाले जी20 देशों के राष्ट्रीय पशु-पक्षियों की प्रतिमूर्तियों को 'वेस्ट टू वंडर' कॉन्सेप्ट के तहत कबाड़ों से बनाया जाएगा. इससे जहां एक तरफ कबाड़ का सदुपयोग कर उन्हें एक आकृति दी जाएगी, वहीं इसे बनाने में लागत भी कम आएगी.
कबाड़ से बनेंगे प्रतिमूर्ति
इसके लिए एनडीएमसी ने देश के ललित कला केंद्र के साथ हाथ मिलाया है. ललित कला केंद्र के कलाकार अपनी उतकृष्ट कलाकारी का प्रदर्शन कर कबाड़ों को जी20 देशों के राष्ट्रीय पशु-पक्षी का रूप देंगे, जो देखने में बिल्कुल ही सजीव नजर आएंगे. देश के 18 राज्यों के 25 कलाकार इस काम को अंजाम देने में लगे हैं, जो अपनी कलाकारी से जी20 पार्क को खूबसूरत और आकर्षक बनाएंगे.
क्या है जी20 पार्क का थीम?
एनडीएमसी के चेयरमैन अमित यादव ने बताया कि ये पार्क आने वाले पीढ़ियों को अपने देश के बढ़ते गौरव को हमेशा याद दिलाता रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्क की अवधारणा विकास पर नजर रख रहे हैं. यह पार्क शांति पथ और रिंग रोड के जंक्शन पर बन रहा है, जो 'One Earth, One Family, One Future' के थीम पर आधारित है. पार्क में मूल्यांकन के नेशनल एनिमल्स और बर्ड्स का प्रतिनिधित्व करने वाली मूर्तियों का निर्माण 'वेस्ट टू वंडर' कॉन्सेप्ट का उपयोग करके किया जा रहा है.
ललित कला अकादमी को दी गई ये जिम्मेदारी
इसमें प्रत्येक मूर्ति को नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के यार्ड और अन्य एजेंसियों से स्रोत किए गए रद्दी और अन्य कचरे सामग्री से बनाया जा रहा है. ललित कला अकादमी को कला परियोजनाओं को बढ़ावा देने और बनाने के लिए जिम्मेदार दी गई है. हर मूर्ति में उपयोग किए जाने वाले धातु कला के टुकड़ों की आयाम 5-7 फीट और 4-5 फीट है.
40 सालों से ऐसी कलाकृतियों को बना रहे कुमा मूर्ति
ललित कला अकादमी की ओर से चेन्नई से आए शिल्पकार कुमा मूर्ति ने बताया कि उन्हें जर्मनी का राष्ट्रीय पक्षी फेडरल ईंगल की कलाकृति को बनाने का काम सौंपा गया है और वो पिछले 40 सालों से ऐसी कलाकृतियों को बनाने का काम करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि जी20 पार्क बनाने में हमारा सहयोग होगा, जिसे आने वाली जेनरेशन जरूर याद करेंगी. उन्हें एनामेल रिलीफ वर्क के लिए 2001 में एलकेए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित जा चुका है.
कैमल है सबसे बढ़िया कलाकृति
गुजरात से आए शिल्पकार विनीत दारोट ने बताया वह पिछले 10 साल से वेस्ट मैटेरियल का उपयोग करके सजावटी और अन्य उपयोगी सामान बनाने का काम कर रहे हैं. उनकी सबसे बढ़िया कलाकृति कैमल है, जिसे औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों की मदद से बनाया था. यह कलाकृति अभी ओमान में लगाई गई है और अब दिल्ली के इस ऐतिहासिक पार्क में लगाया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि वह विजुअल आर्ट्स और स्वल्पचर में परास्नातक किया हुआ है. मुझे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय पशु स्प्रिंगबोक की कलाकृति बनानी है. स्प्रिंगबोक हिरण की तरह दिखता है.
शांति पथ-रिंग रोड जंक्शन पर बनाया जा रहा है पार्क
बता दें कि जी20 पार्क को शांति पथ और रिंग रोड के जंक्शन पर बनाया जा रहा है. इसमें एनडीएमसी की ओर से उपलब्ध कराए गए कबाड़ों से 5 फीट तक के अलग-अलग सदस्य देशों के राष्ट्रीय पशु और पक्षियों को बना कर स्थापित किया जाएगा.
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