Ganesh Chaturthi 2023: दिल्ली में गणेश उत्सव की धूम, जगह-जगह विराजे गणपति बप्पा मोरिया
Lord Ganesh Puja Delhi: दिल्ली के कोटला मुबारकपुर मंदिर में 28 वर्षों से गणेश पूजा समारोह का आयोजन होता रहा है.यह दिल्ली का पहला ऐसा मंदिर है, जहां 10 फुट से ऊंची मूर्ति स्थापित की जाती है.
Delhi News: मंगलवार सुबह से ही 9 दिनों तक चलने वाली पूजा के लिए भगवान श्री गणेश के भक्त उनकी प्रतिमा को स्थापित करने में जुटे हैं. मुम्बई से शुरू हुई गणेश पूजा की ये प्रथा धीरे-धीरे देशभर में फैल गई और राजधानी दिल्ली में भी गणेश पूजा को लेकर गजब का उत्साह देखा जा रहा है. दिल्ली के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर गणेश पूजा आयोजित की जाती है तो काफी संख्या में लोग अपने घरों में भी गणेश मूर्ति स्थापित कर पूजा का आयोजन हर साल करते हैं. दिल्ली में भले ही हाल के वर्षों में गणेश पूजा का क्रेज बढ़ा हो लेकिन, दिल्ली के कोटला मुबारकपुर इलाके के मंदिर में पिछले 28 वर्षों से गणेश पूजा होती आ रही है. यहां गणेश पूजा समारोह का आयोजन बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ होता है.यह दिल्ली का पहला ऐसा मंदिर है, जहां 10 फुट से ऊंची मूर्ति स्थापित की जाती है. इस बार भी इस मंदिर में लगभग 12 फुट की मूर्ति स्थापित की जा रही है.
कोटला के मंदिर में 28 साल से जारी है गणेश पूजा
कोटला मुबारकपुर मंदिर के पुजारी पंडित नरेश नारायण वशिष्ठ ने एबीपी लाईव को बताया कि आज से शुरू हो रही पूजा पूरे 9 दिनों तक चलेगी और 28 सितंबर को विसर्जन किया जाएगा. उन्होंने बताया को मंदिर प्रांगण में इस 28वें वर्ष में वक्रतुंड गणेश की स्थापना की गई है, जो दुष्टों का नाश कर भक्तों के विघ्न को हरते हैं. जिनकी पूजा के साथ, उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाएंगे. इस दौरान मंदिर पूजा समिति द्वारा अलग-अलग दिनों पर 5 विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इसमें पहला है फूलों का बंगला, दूसरा नौका विहार, तीसरा प्रकाश उत्सव, चौथे कार्यक्रम में गणेश भगवान को उनके पसंदीदा मिष्ठान 56 हजार लड्डुओं के भोग चढ़ाए जाएंगे तो वहीं अंतिम और पांचवें कार्यक्रम के रूप में उनका विसर्जन किया जाएगा.
हर रोज तीनों वक्त होगा भंडारे का आयोजन
पुजारी पंडित नरेश वशिष्ठ ने कहा कि हर दिन तीनों वक़्त यहां पर भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जो हर बार अलग-अलग होगा. कभी छोले-चावल, कभी राजमा-चावल तो कभी पूरी-सब्जी का प्रसाद भंडारे में भक्तों के बीच वितरित किया जाएगा. वहीं हर दिन लगभग 100 किलो लड्डू भी भक्तों के बीच वितरित किये जाएंगे. पूजा के आखिरी दिन विसर्जन से पहले मंदिर प्रांगण से प्रतिमा को निकाल कर 5 किलोमीटर के एरिया में घुमाया जाएगा और फिर उन्हें विसर्जित कर इस पूजा का समापन होगा.
ईको फ्रेंडली प्रतिमा
मूर्ति के बारे में बात करते हुए मंदिर के पुजारी ने बताया की गणेश प्रतिमा पूरी तरह से ईको फ्रेंडली है और यह विसर्जन के लिए विशेष रूप से बनाई जा रही तालाब में विसर्जित की जाएगी, जो पूरी तरह से मिट्टी में मिल जाएगी और इसके अंदर रखे गए बीज से बाद में पौधे उत्पन्न होंगे. विसर्जन से पहले प्रतिमा को पहनाई गयी साज-सज्जा को उतार लिया जाएगा.