Lumpy Skin Disease in Noida: गौतम बुद्ध नगर (Gautam Buddh Nagar) के एक गांव में लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) के तीन मामले सामने आये हैं. जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर निखिल वार्ष्णेय ने बताया कि एक गांव में तीन पशुओं के लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त होने की पुष्टि होने के बाद उनका उपचार किया गया और तीनों अब स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि लड़पूरा, मुर्शदपुर, बील अकबरपुर, मायचा, बोड़ाकी, बादलपुर समेत कई गांव में पशुओं में इस तरह की बीमारी फैलने की चर्चा है.
ऐसे में पशु चिकित्सा विभाग पशुओं की जांच कर रहा है. गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि हरियाणा (Haryana), दिल्ली (Delhi) से पशुओं को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आने से रोका जाए. उनके अनुसार पशु मेला का आयोजन नहीं होगा और पशुओं को नियमित सैनिटाइज कराया जाएगा.
लंपी स्किन डिजीज के कारण
जानकारी के अनुसार ये रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैल रहा है. जिसे 'गांठदार त्वचा रोग वायरस' (LSDV) कहा जाता है. इसकी तीन प्रजातियां हैं. जिसमें पहली प्रजाति 'कैप्रिपॉक्स वायरस' (Capripoxvirus) है. इसके अन्य गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) और शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus) हैं.
लंपी स्किन डिजीज के लक्षण
बताया जा रहा है कि इस रोग के कई लक्षण है. जिसमें बुखार, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना शामिल है. इसके साथ ही इस रोग में शरीर में गांठें भी बन जाती हैं. साथ ही ये भी देखने को मिला है कि, इससे मादा मवेशियों को बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन झेलना पड़ जाता है.
जानिए इस रोग के उपाय
बता दें कि ये एक तरह का वायरस है जिसका कोई ठोस उपाय नहीं है. ऐसे में पशुओं को इससे प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोकना होगा. वहीं रोग से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं. बता दें कि गुजरात में लंपी त्वचा रोग की वजह से अभी तक करीब 999 मवेशियों की मौत हो गई है. जिनमें से अधिकतर गाय और भैंस हैं. राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल ने ये जानकारी दी.
जानिए कैसे फैलती है बीमारी
बताया जा रहा है कि लंपी त्वचा रोग एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों की वजह से फैल रही है. इसके साथ ही ये मवेशियों के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के जरिए भी फैलती है.