Gautam Gambhir Attack on Arvind Kejriwal: देश की राजधानी के पूर्वी दिल्ली से बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच विभिन्न मसलों पर जारी तनातनी पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल टीचर्स को फिनलैंड की यात्रा पर भेजने के लिए जितनी लड़ाई कर रहे हैं अगर इसके बाद अन्य मुद्दों के लिए लड़ते तो दिल्ली की तस्वीर कुछ और होती.
क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर ने हैशटैग #DelhiNeedsHonesty से किए गए अपने ट्वीट में लिखा है कि अगर अरविंद केजरीवाल जन लोकपाल, दिल्ली के प्रदूषण में सुधार, लोगों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने, यमुना की सफाई और अस्पतालों को सुधारने के लिए प्रयास करते तो अभी तक दिल्ली की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल गई होती, लेकिन वह दिल्ली की जनता के हित में काम करने के बदले एलजी से खुद को बड़ा दिखाने में लड़ाई में बिजी हैं. गौतम गंभीर से ये बात उस समय कही है जब एलजी वीके सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच विभिन्न मसलों पर तनातनी चरम पर है.
एलजी-सीएम के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी
दरअसल, दिल्ली सरकार के कामकाज, टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने, एमसीडी मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के चुनाव, दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण सहित कई मसलों पर दिल्ली के सीएम और एलजी के बीच विवाद पिछले कई महीनों से जारी है.इसने से टीचर्स को ट्रेनिंग पर फिनलैंड भेजने का मुद्दा दोनों के बीच चरम पर है. टीचर्स ट्रेनिंग मामले को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी में वार-पलटवार का दौर नये सिरे शुरू हो गया है.डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इसे दिल्ली के एजुकेशन मॉडल पर हमला बताया है.सीएम केजरीवाल खुद इस मसले पर दिल्ली विधानसभा में अपने स्पीच में एलजी के अर्मादित भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं. उसके बाद एलजी ने एक लेटर के जरिए सीएम के सामने अपना पक्ष रखा है, साथ ही दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर कई सुझाव भी दिए हैं. उनके इस सुझाव के जवाब में सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी एलजी को पत्र लिख उन पर हमला बोला है.
केजरीवाल टीचर्स को फिनलैंड भेजने पर आमदा क्यों?
इन सबके बीच अहम सवाल यह है कि आखिर केजरीवाल टीचरों को फिनलैंड भेजने के लिए इतना बेताब क्यों हैं? वहां ऐसा क्या खास है? इसको लेकर केजरीवाल सरकार का कहा है कि 2000 से फिनलैंड दुनियाभर में पढ़ाई के मामले में शीर्ष पर बना हुआ है.आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की मदद से हर साल PISA सर्वे कराया जाता है. इस सर्वे में फिनलैंड पिछले 22 सालों से टॉप पर है. बता दें कि फिनलैंड के शिक्षा मॉडल में 7 साल की उम्र के बाद बच्चों को एडमिशन मिलता है. बच्चों को प्रतियोगिता से दूर रखा जाता है. देश के टॉप 10 ग्रेजुएट लोगों को टीचर बनाया जाता है; प्राइमरी लेवल पर प्रतिभाशाली युवाओं को शिक्षण की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. फिनलैंड के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचरों के पास कम से कम मास्टर डिग्री होनी चाहिए.फिनलैंड की सरकार OECD के मानक से कहीं अधिक सैलरी अपने टीचरों को देती है।वहां पर स्कूल सुबह लेट से यानि सुबह 9 बजे से लेकर 9 बजकर 45 मिनट के बीच खोला जाता है.एक शोध में यह पता चला है कि बच्चों का सुबह जल्दी उठना उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.फिनलैंड में हर क्लास में टीचर बदलते नहीं हैं.शुरुआती 6 सालों में बच्चे के शिक्षक बदले नहीं जाते.इससे बच्चों का शिक्षकों से एक अच्छा संबंध बन जाता है.बच्चे टीचरों से डरने के बजाय उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानने लगते हैं.इससे उनके पढ़ने और सीखने की प्रक्रिया में बढ़ोतरी होती है.
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