Delhi News: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कनॉट प्लेस स्थित स्मॉग टावर को एक बार फिर बंद करने पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के चेयरमैन अश्विनी कुमार को फटकार लगाई है. उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तौहीन बताया है. पर्यावरण मंत्री ने पर्यावरण एवं वन एवं वन्यजीव विभाग के प्रमुख सचिव को 24 घंटे के भीतर कर्मचारियों का वेतन जारी करने का निर्देश दिया. ताकि कनॉट प्लेस में स्थापित स्मॉग टावर फिर से चालू हो जाएं.
स्मॉग टावर पर तैनात कर्मियों के वेतन का भुगतान न होने के मसले पर मंत्री गोपाल राय ने प्रमुख सचिव (ईएंडएफ) को एक पत्र भी भेजा है, जिसमे उन्होंने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने प्रमुख सचिव को यह सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में सभी भुगतान समय पर जारी किए जाएं. डीपीसीसी चेयरमैन को विभाग द्वारा अपने कर्तव्यों के प्रति बरती गई इस लापरवाही पर 10 जनवरी तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
SC के आदेश पर बना था स्मॉग टावर
पर्यावरण मंत्री ने प्रधान सचिव (ईएंडएफ) को लिखे पत्र में कहा कि दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित स्मॉग टावर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एमसी मेहता बनाम भारत संघ 2020 मामले में डीपीसीसी ने स्थापित किया गया था. इस स्मॉग टावर का संचालन अगस्त 2021 से हुआ. इस टावर को लगाने की कल्पना दिल्ली में होने वाली प्रदूषण संबंधी समस्या का समाधान करने के लिए एक वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास परियोजना के रूप में की गई थी. परियोजना के सुचारू रूप से संचालन के लिए डीपीसीसी, एनबीसीसी और टाटा प्रोजेक्ट्स के बीच एक एमओयू साइन हुआ था.
कोर्ट की अवमानना का दूसरा मामला
गोपाल राय का कहना है कि स्मॉग टॉवर के संचालन के लिए ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस फंड को रोककर डीपीसीसी अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की है. जबकि नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद स्मॉग टॉवर को फिर से शुरू किया गया था. मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले दो महीनों से वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों द्वारा स्मॉग टावर का काम फिर से रोक दिया गया, जो डीपीसीसी द्वारा किया गया चौंकाने वाला कारम है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में स्मॉग टावर का लगातार संचालन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. ऐसे में 6 महीनों में डीपीसीसी द्वारा कोर्ट की अवमानना का ये दूसरा मामला है. यह बहुत चिंताजनक है कि स्मॉग टावर को उस समय बंद करना पड़ा है, जब दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति 'बहुत खराब' श्रेणी में है.