Noida Crime News: फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार को लगाया 15 हजार करोड़ का चूना, देशभर में 2660 फर्जी कंपनियां खोली
देशभर में 2660 कंपनियां खोलकर जीएसटी रिफंड लिया है. इनके माध्यम से यह लोग फर्जी बिल लगाकर जीएसटी का क्लेम करते थे.अब तक करीब 15 हजार करोड़ रुपये का चूना विभिन्न राज्यों में सरकार को लगा चुके हैं.
Noida News: नोएडा पुलिस ने जालसाजों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश करने में कमायाबी पाई है जो फर्जी कंपनियां (Fake Company) बनाकर जालसाजी कर जीएसटी (GST) रिटर्न क्लेम करते थे. इस मामले में पुलिस ने दो CA समेत कुल 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर देशभर में 2660 कंपनियां खोलकर जीएसटी रिफंड लिया है. यह कंपनियों देशभर के विभिन्न राज्यों में खोली गई थीं. इनके माध्यम से यह लोग फर्जी बिल लगाकर जीएसटी का क्लेम करते थे. इस तरह आरोपित अब तक करीब 15 हजार करोड़ रुपये का चूना विभिन्न राज्यों में सरकार को लगा चुके हैं. यह लोग एक कंपनी से 5 से 10 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी करते थे.
पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने बताया कि पुलिस को विभिन्न लोगों से शिकायतें मिली थी कि उनके पैन कार्ड का उपयोग कर कुछ लोगों ने फर्जी कंपनी खोलने का प्रयास किया है. कोतवाली पुलिस और नोएडा की साइबर सेल ने मामले की जांच के बाद मुंबई के रहने वाले मोहम्मद यासीन शेख और बलिया के अश्वनी पांडे को फिल्म सिटी मेन रोड से गिरफ्तार कर लिया. इनसे पूछताछ के आधार पर गाजियाबाद के आकाश सैनी, संतकबीरनगर के विशाल, हाथरस के अतुल सेंगर और दिल्ली के राजीव, दीपक मुरजानी और उसकी पत्नी विनीता को जीबोलो कंपनी, कार्यालय मधु विहार दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. जबकि गिरोह के अन्य सदस्य आंछित गोयल, प्रदीप गोयल, अर्चित, मयूर उर्फ मणि, चारू नागपाल, रोहित नागपाल और दीपक सिंघल की तलाश जारी है.
ऐसे बनाते थे फर्जी कंपनी
पूछताछ में पता चला है कि आरोपित इंटरनेट के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का डाटा सर्च करते थे. इन्होंने करीब 10 लाख लोगों का डाटा अपने लैपटाप में सुरक्षित रखा है. इसमें आरोपित कामन नाम सर्च करते थे. उसके बाद उस नाम का एक कम पढ़ा लिखा व्यक्ति ढूंढते थे, जिसके पैन कार्ड का फोन नंबर बदलवा कर उसमें अपना फोन नंबर डलवा देते थे. इससे फर्म रजिस्ट्रेशन के समय ओटीपी इनके मोबाइल फोन पर आए. इसके बाद विद्युत विभाग की साइट पर जाकर बिजली का बिल अपलोड कर उस व्यक्ति के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे.
ऐसे करते थे टैक्स चोरी
मास्टर माइंड यासीन शेख कंपनी रजिस्टर्ड, करवाने के बाद दीपक को डेढ़ से दो लाख रुपये में बेचता था. दीपक उस कंपनी को अन्य लोगों को आठ से 10 लाख रुपये में बेचता था. यह लोग फर्जी बिल जेनरेट कर लाखों रुपये की खरीदारी दिखाते थे. इसके बाद जीएसटी का इनपुट लाभ उठा लेते हैं. आरोपियों के कब्जे से तीन कार बरामद हुई हैं. इसमें से एक कार पर दिल्ली सरकार लिखा हुआ है. इसके अलावा पुलिस ने 12.66 लाख रुपये, 32 मोबाइल फोन, कम्प्यूटर सिस्टम, हार्ड डिस्क और फर्जी पैन और आधार कार्ड बरामद किए हैं. फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर कैसे मिला? इसमें किसी बड़े जीएसटी अधिकारी की भागीदारी तो नहीं है? इसी की जांच के लिए नोएडा पुलिस से जीएसटी केंद्र और प्रदेश मुख्यालय को लेटर भेजकर जांच करने के लिए कहा है.
ईडी कर सकती है मामले की जांच
देशभर में आरोपित फर्जी बिल लगाकर सरकार को चूना लगाते रहे, लेकिन विभागीय अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी. ऐसे में अब जीएसटी विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में यूपी पुलिस आयकर, ईडी और आइबी को पूरे इस पूरे मामले की जानकारी देगी. माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले की जांच ईडी या आइबी कर सकती है.