Delhi News: हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सात सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. दिल्ली के चर्चित मंदिरों और संस्थानों की ओर से इसकी तैयारी अभी से जारी है. इस मौके पर गोविंदा मटकी फोड़ उत्सव का आयोजन किया जाएगा. खास बात यह है कि इस बार यह उत्सव दो दिन मनाया जाएगा. यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अध्यक्ष एवं छत्रपति शिवाजी समाज कल्याण सह शिक्षा प्रचार समिति के संस्थापक जय भगवान गोयल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मटकी फोड़ कार्यक्रम गोविंदा आला रे 6 और 7 सितंबर दोनों दिन मनाया जाएगा.


जयभगवान गोयल ने बताया कि इस कार्यक्रम को यमुना विहार स्थित एमटीएनएल ग्राउंड में एक अनोखे अंदाज में मनाने की योजना है. लड़कियों एवं लड़कों के गोविंदाओं की 22 से 28 टीमों द्वारा ऊंचाई पर लटकी दही से भरी मटकी तोड़ने के लिए इनामी प्रतियोगिता में शिरकत करेंगी. प्रतियोगिता के विजेता टीम को नकद पुरस्कार दिया जाएगा.


पहली बार महिला कीर्तन प्रतियोगिता का होगा आयोजन


जयभगवान गोयल ने बताया कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले गोविंदाओं को प्रशिक्षित करने के लिए कोच को विशेष तौर पर मुंबई से बुलाया जा रहा है. इसके अलावा, जन्माष्टमी के मौके पर इस कार्यक्रम के माध्यम से इस बार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की पहल भी की जा रही है. इस योजना के तत देश में पहली बार महिला कीर्तन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी.


महाराष्ट्र और गुजरात का लोकप्रिय उत्सव


बता दें कि महाराष्ट्र और गुजरात के युवाओं में गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ प्रतियोगिता को लेकर खासा उत्साह रहता है. वे इसके लिए जन्माष्टमी के पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं. इस प्रतियोगिता में कई फीट की ऊंचाई पर रस्सी के सहारे दही की मटकी लटकाई जाती है, जिसे गोविंदाओं की टोली आपसी सहयोग से पिरामिड बनाकर उस तक पहुंचते हैं. फिर उसे एक हाथ से ही नारियल की सहायता से फोड़ते हैं. यह प्रतिस्पर्धा महाराष्ट्र और गुजरात मे काफी लोकप्रिय है. महाराष्ट्र में तो इसे एक खेल का दर्जा तक दे दिया गया है. समय के साथ गोविंदा उत्सव देश के अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय होने लगा. कृष्ण पुराण की कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ माखन की चोरी किया करते थे. भगवान कृष्ण ऊपर चढ़कर पास-पड़ोस के घरों में मटकी में रखा दही और माखन चुराया करते थे. जब वे गोकुल के घरों में मटकियां फोड़ने का प्रयास करते थे, तो महिलाएं उन्हें रोकने के लिए पानी फेंकती थी. कान्हा के इसी रूप के कारण बड़े प्यार से उन्हें 'माखनचोर' कहा जाता है. हांडी फोड़ने वाले बच्चे को 'गोविंदा' कहा जाता है, जो 'गोविंद' का ही दूसरा नाम है.


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