Holi 2025: रंगों और उल्लास के त्योहार होली को इस बार दिल्ली के इस्कॉन द्वारका मंदिर में विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है. 13 और 14 मार्च को मंदिर परिसर में दो दिवसीय गौर पूर्णिमा महोत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसमें भक्तों के लिए लड्डूमार, लट्ठमार और मटका फोड़ होली जैसे अनोखे आयोजन होंगे. इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण होगा—फूलों की होली, जिसमें भक्त भगवान श्रीकृष्ण और गौर-निताई के साथ रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा के बीच आनंद लेंगे.


गौर पूर्णिमा: होली के साथ भक्तिमय उत्सव


गौर पूर्णिमा का यह पर्व श्री चैतन्य महाप्रभु के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण के प्रेम और भक्ति का संदेश देने वाले चैतन्य महाप्रभु का जन्म फाल्गुन पूर्णिमा के दिन हुआ था, जिसे गौड़ीय वैष्णव परंपरा में नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है. इस्कॉन द्वारका मंदिर में 10 मार्च से ही गौर पूर्णिमा कथा का आयोजन हो रहा है, जो 14 मार्च तक जारी रहेगा.


लड्डूमार और लट्ठमार होली का उत्साह


13 मार्च, जिसे छोटी होली या होलिका दहन कहा जाता है, इस दिन भक्त लड्डूमार और लट्ठमार होली का आनंद लेंगे. इसके अलावा, मंदिर में पारंपरिक मटका फोड़ होली का आयोजन भी किया जाएगा, जो भक्तों में विशेष उत्साह भर देगा.


ग्रेमी अवॉर्ड नॉमिनी कीर्तन संध्या


14 मार्च की शाम को भक्तों के लिए विशेष संगीतमय प्रस्तुति का आयोजन किया जाएगा. अमेरिका से पधारीं ग्रेमी अवॉर्ड के लिए नामांकित गौर मणि माताजी एवं परम प्रभुजी संकीर्तन करेंगे, जिसके बाद फूलों की होली का दिव्य आयोजन होगा.


2500 पकवानों का भव्य भोग


भगवान कृष्ण को भक्तों की ओर से विशेष प्रेम और समर्पण के साथ 2500 विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित किया जाएगा. इस दिव्य आयोजन के माध्यम से भक्तगण श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने का सौभाग्य पाएंगे.


भक्ति, कथा और प्रसाद का महोत्सव


10 मार्च से 14 मार्च तक प्रतिदिन सुबह 8 बजे और शाम 7 बजे गौर कथा का आयोजन किया जाएगा. इस कथा का वाचन परम पूज्य भक्ति रत्नाकर अंबरीष स्वामी महाराज एवं सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रशांत मुकुंद दास द्वारा किया जाएगा. कथा के उपरांत प्रसाद वितरण भी किया जाएगा.


गौरतलब है कि, गौड़ीय वैष्णव परंपरा में होली को 'गौर पूर्णिमा' के रूप में मनाया जाता है फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही 540 वर्ष पूर्व, नदिया (पश्चिम बंगाल) में श्री चैतन्य महाप्रभु ने जन्म लिया था. वे स्वयं श्रीकृष्ण के अवतार थे, जिन्होंने राधारानी के भाव को अपनाकर प्रेम और भक्ति का संदेश दिया. इसलिए उन्हें 'कलियुग का गोल्डन अवतार' भी कहा जाता है.


इस दिन भक्तजन संकीर्तन और हरिनाम जप के माध्यम से चैतन्य महाप्रभु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. यह पर्व हमें भक्त प्रह्लाद की भक्ति, हिरण्यकशिपु के अहंकार के विनाश और नरसिंह अवतार की कृपा का भी स्मरण कराता है.


यदि आप भी इस बार होली को आध्यात्मिक आनंद से भरपूर बनाना चाहते हैं, तो इस्कॉन द्वारका में आयोजित गौर पूर्णिमा महोत्सव में अवश्य सम्मिलित हों और भगवान के प्रेममय रंगों में रंग जाएं.


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