Greater Noida: तीन साल बाद ग्रेटर नोएडा के 165 फ्लैट-दुकान खरीददारों को मिलेगा मालिकाना हक, प्रशासन ने दी इजाजत
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा के 165 फ्लैट और दुकान खरीदारों ने तीन साल बाद अपने फ्लैट और दुकान का मालिकाना हक मिलने वाला है. प्रशासन ने अब इन संपत्तियों को लेकर रेगुलराइज करने की अनुमति दी.
Greater Noida Flates News: ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के 165 फ्लैट और दुकान खरीदारों ने तीन साल बाद अब राहत की सांस ली. इतने लंबे इंतजार के बाद अब उन्हें अपने फ्लैट और दुकान का मालिकाना हक मिलने वाला है. इन लोगों को अब लीजडीड कराने के लगभग तीन साल बाद सही मायने में अपनी संपत्ति का मालिकाना हक मिल सकेगा. प्रशासन ने अब इन संपत्तियों को लेकर रेगुलराइज करने की अनुमति दी. रेगुलराइज हो जाने से फ्लैट खरीदार अपनी संपत्ति को बंधक रखकर बैंक लोन प्राप्त कर सकेंगे.
प्रशासन ने अब इन संपत्तियों के सबलीज डीड को रि-वैलिडेट कराते हुए रेगुलराइज करने की अनुमति प्रदान कर दी. इसको लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि फ्लैट और दुकान खरीदारों की सहूलियत को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने जियोटेक होम्स और पैरामाउंट प्रॉपबिल्ड के 165 यूनिटों की सबलीज डीड को रि-वैलिडेट कर रेगुलराइज करने की अनुमति दे दी. इससे सही मायने में फ्लैट और दुकान खरीदारों को अपनी संपत्ति पर मालिकाना हक मिल सकेगा, जिस पर वे बैंक लोन भी प्राप्त कर सकेंगे.
क्यों हुई तीन साल की देरी?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से 2010 में जियोटेक होम्स बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड को सेक्टर 16सी में और पैरामाउंट प्रॉप बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड को सेक्टर-01 में प्लॉट आवंटित किया गया. जियोटेक होम्स में 438 फ्लैट और 13 दुकानों को और पैरामाउंट प्रॉप में 1716 फ्लैटों के सबलीज डीड की स्वीकृति प्रदान की गई. साल 2019-20 में जियोटेक होम्स ने 288 फ्लैटों और छह दुकानों की और पैरामाउंट प्रॉप ने 1270 फ्लैटों की सबलीज डीड करा ली. इनमें से जियोटेक होम्स के 51 फ्लैट और दो दुकानें और पैरामाउंट प्रॉप के 112 फ्लैटों की सबलीज डीड पर पेच फंस गया.
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से आवंटित बिल्डर परियोजनाओं में बिल्डर, बायर और प्राधिकरण के बीच त्रिपक्षीय सबलीज डीड की जाती है और इसकी तीन प्रतियां प्राधिकरण के समक्ष प्रेषित की जाती हैं. इन पर प्रबंधक बिल्डर के साइन के बाद दो प्रतियां बिल्डर और खरीदार को उपलब्ध करा दी जाती है और एक प्रति प्राधिकरण में रख दी जाती है. खरीदार को परमिशन टू मोर्टगेज देने के समय इसकी जरूरत पड़ती है. इन दोनों प्रकरणों में ऑफिस कॉपी प्राधिकरण में उपलब्ध नहीं पाई गई और जब खरीदारों ने मोर्टगेज परमिशन के लिए आवेदन किया तो उस समय के प्रबंधक ने सबलीज डीड पर अपने हस्ताक्षर से इंकार कर दिया. जिसके चलते इन रजिस्ट्रियों को त्रुटिपूर्ण मानते हुए बिल्डर कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई. इस बीच इन रजिस्ट्रियों को रेगुलराइज किए जाने के लिए खरीदारों की तरफ से लगातार कोशिश होती रही.
कार्रवाई के निर्देश दिए गये
सबलीज डीड पर तत्कालीन प्रबंधक हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच जल्द कराई जाएगी. दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी. साथ ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में बोर्ड ने तत्कालीन प्रबंधक के हस्ताक्षर की फॉरेंसिक ऑडिट कराने और दोषी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.