Groundwater Level Increase In Delhi: दिल्ली में पीने के पानी की समस्या कोई नई नहीं है. सालों से ये समस्या चली आ रही है, जो गर्मियों के मौसम में और भी बढ़ जाती है. हर बार गर्मियों में पानी को लेकर चर्चाएं भी तेज हो जाती हैं. पानी की कमी को पूरी करने के लिए 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग' से लेकर तमाम तरह के उपायों पर जोर दिया जाने लगता है. इन तमाम उपायों के बीच लगातार जमीन के नीचे से पानी की खपत की वजह से दिल्ली में जल स्तर गिरता रहा, लेकिन पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिल्ली भूजल रिचार्ज (जमीन के नीचे पानी) की तुलना में दोहन कम (खपत कम) हुआ है, वहीं रिचार्ज (पानी बढ़ा) अधिक. केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. बोर्ड के अधिकारी इस बदलाव को भविष्य के लिए अच्छा संकेत मान रहे हैं.
कई मौकों पर 'जल ही जीवन है' और 'जल है तो कल है' जैसे मुद्दों पर बातें की जाती हैं, लेकिन क्या हम इसके अनुकूल किए जाने वाले उपायों पर उतनी गंभीरता से काम कर रहे हैं? आज जरूरत है कि जल संचयन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाए, तभी हम आने वाली पीढ़ी के लिए पानी छोड़ कर जा सकेंगे. इस दिशा में अभी तक उतनी गंभीरता से पहल नहीं कि जा रही है, बावजूद इसके थोड़े बहुत जो सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं, उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है.
2000 के दशक में बहुत बढ़ गया था भूजल दोहन
केंद्रीय भूजल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि भविष्य के लिए पानी को सुरक्षित और संरक्षित बनाए रखने के लिए भूजल दोहन की तुलना में भूजल रिचार्ज को अधिक बनाए रखना जरूरी है. बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में एक वक्त ऐसा भी था, जब भूजल रिचार्ज बहुत ज्यादा होता था. इसकी वजह प्राकृतिक जल स्रोत थे. साल 1990 की शुरुआत तक भूजल रिचार्ज की तुलना में 58 प्रतिशत ही भूजल दोहन होता था. आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के साथ शहरीकरण तेज होने पर परिस्थितियां बदलती चली गई और साल 2000 के दशक में भूजल दोहन बहुत बढ़ गया.
भूजल स्तर के गिरने पर ट्यूबवेल पर लगाया गया था प्रतिबंध
बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार साल 2004 में भूजल रिचार्ज की तुलना में भूजल दोहन 161 प्रतिशत अधिक था. इससे भूजल स्तर तेजी से गिर रहा था. इसके बाद केंद्र और दिल्ली सरकार ने सख्ती शुरू की. ट्यूबवेल प्रतिबंधित कर दिए गए. एनजीटी के आदेश से हजारों अवैध ट्यूबवेल सील किए गए. सरकारी विभागों के भवनों, स्कूलों, पार्कों और ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाई गई. पहले की तुलना में बारिश भी अधिक हुई.
दोहन 70 प्रतिशत पर आना दिल्ली के लिए होगा बेहतर
केंद्रीय भूजल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भूजल रिचार्ज, बारिश की स्थिति पर भी निर्भर करता है. दो साल में दिल्ली में औसत (794 मिमी) से अधिक बारिश हुई है. इससे साल 2022 में भूजल रिचार्ज की तुलना में भूजल दोहन लगभग 90 प्रतिशत ही हुआ. वहीं, भूजल दोहन की तुलना में भूजल रिचार्ज लगभग 11 प्रतिशत अधिक हुआ. यदि भूजल रिचार्ज की तुलना में भूजल दोहन 70 प्रतिशत पर आ जाए, तो यह दिल्ली के लिए पानी के मामले में सुरक्षित स्थिति होगी. समस्या यह है कि भूजल का बड़ा हिस्सा खारा हो चुका है, फ्लोराइड की भी समस्या है.
निगरानी केंद्र के पास बढ़ा भूजल स्तर
गर्मी में भूजल दोहन अधिक होता है. इस वजह से गर्मी में भूजल स्तर अधिक गिरता है. मई 2011 की तुलना में मई 2021 में 51 प्रतिशत निगरानी केंद्रों के आसपास भूजल स्तर 7.83 मीटर तक गिर गया था, जबकि 49 प्रतिशत निगरानी केंद्रों के पास भूजल स्तर 17:29 मीटर तक बढ़ा था. वहीं, जनवरी 2012 को तुलना में जनवरी 2022 में 70 प्रतिशत निगरानी केंद्रों के आसपास का भूजल स्तर 18.61 मीटर तक घट गया और 30 प्रतिशत निगरानी केंद्रों के आसपास 16 मीटर तक भूजल स्तर नीचे चला गया.
कई इलाकों में भूजल स्तर हुआ अधिक
केंद्रीय भूजल बोर्ड के अनुसार हुमायूं का मकबरा, निजामुद्दीन, सिद्धार्थ विहार, ग्रेटर कैलाश, सिविल लाइन, कश्मीर गेट, बुराड़ी, रोहिणी, कंझावला और जगतपुर में भूजल स्तर काफी बढ़ चुका है. इनमें से कई क्षेत्रों के घरों के बेसमेंट में जलभराव की समस्या आने लगी है.