हरियाणा के भिवानी जिले के एक गांव में लोगों ने पांच साल पहले पंचायत के सभी पदों पर महिलाओं को चुनने का फैसला किया था. अब पंचायत की इन महिलाओं का कार्यकाल खत्म होने वाला है, लेकिन गांव वाले उनके कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं. अब उन्होंने अगले चुनाव में महिलाओं को चुनने का फैसला किया है.
हरियाणा के किस जिले में हुई है यह पहल
यह मामला है भिवानी जिले के गांव रोहिल्लान का. पंचायत चुनाव में वहां के युवाओं ने यह कदम उठाया था. इसके लिए उन्होंने गांव के अन्य लोगों को भी मनाया था. उन्होंने पांच साल पहले चुनाव में उन्होंने ग्राम प्रधान और 12 सदस्यों के पदों पर महिलाओं को निर्विरोध चुना था.
यह फैसला लेने वालों में सुरेंद्र कुमार भी शामिल थे. उन्होंने अखबार 'दी ट्रिब्यून' को बताया कि महिलाएं ग्रामीणों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी हैं.उन्होंने कहा कि पूरे गांव ने उन्हें सहयोग और समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि वो लोग इस फैसले के जरिए महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को हरियाणा में एक नए स्तर पर ले जाना चाहते थे. पंचायत में कुछ महिलाएं उर्जावान थीं. लेकिन उनके घर के कामकाज का दवाब ने उनकी गतिविधियों को प्रभावित किया.
सबसे अधिक पढ़ी-लिखि महिला पंचायत सदस्य की हो गई शादी
सुरेंद्र ने बताया कि शुरू में इन महिला पंचायत सदस्यों ने खुद ही पहल करनी शुरू की. लेकिन शिक्षा का अभाव उनके काम के रास्ते में आडे़ आया. इन पंचायत प्रतिनिधियों में सुशीला देवी ही सबसे पढ़ी-लिखि थीं. वो काम को तेजी से सीखती थी. लेकिन उनकी जल्दी ही दूसरे गांव में शादी हो गई.
सामाजिक कार्यकर्ता शकुंतला जाखड़ कहती हैं, ''पितृसत्तात्मक समाज की वजह से महिलाओं के सामने कई तरह की जटिलताएं होती हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में.'' वो कहती है कि महिलाएं भले ही किसी पद पर हों पुरुष प्रधान परिवार में महिलाओं को रोका जाता है. यही मानसिकता महिला पंचायत सदस्यों के कामकाज न कर पाने की एक प्रमुख वजह है. जाखड़ ने रोहिल्लान गांव में की गई इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर इस तरह की और पहलें करने की जरूरत है. वो कहती हैं कि प्रशासन में अधिकारी भी इन महिलाओं को बहुत अधिक तवज्जो नहीं देते हैं, क्योंकि बैठकों में पुरुष ही अधिक होते हैं.
इस गांव की सरपंच आशा रानी के पति मनोज सिंह यह स्वीकार करते हैं कि पंचायत बहुत अच्छा काम करने लायक नहीं थी. वो बताते हैं कि पंचायत ने गांव में एक सरकारी कॉलेज और अस्पताल बनाने की पहल की थी. लेकिन ये योजनाएं पूरी नहीं हुईं.