जामिया में हुई हिंसा मामले की दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई, उठाई निष्पक्ष जांच की मांग
Delhi News: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा की जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं.

Delhi High Court: चार साल से ज्यादा वक्त बीत गया, लेकिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हुए हिंसा के उस दिन की तस्वीरें आज भी धुंधली नहीं हुईं. सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में उस रात जो हुआ, उसने न सिर्फ छात्रों को बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था. अब उसी घटना की न्यायिक पड़ताल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में फिर से दस्तक दी गई है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए.
94 शिकायतें, लेकिन एक भी एफआईआर नहीं
याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने खुद पुलिस की कार्रवाई को अनुचित बताया था. कुलपति ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए पुलिस को 94 शिकायतें सौंपीं. इन शिकायतों में आरोप था कि पुलिस ने लाइब्रेरी और हॉस्टल तक में घुसकर छात्रों को पीटा. इसके बावजूद इन शिकायतों पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई. सवाल यही है कि जब शिकायतें दर्ज हैं, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने सिर्फ छात्रों पर लाठीचार्ज ही नहीं किया, बल्कि कैंपस में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी तोड़ दिया, ताकि हिंसा के सबूत मिटाए जा सकें. घटना में घायल हुए 28 छात्रों में से कई को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा. लेकिन अब तक किसी जिम्मेदार को कटघरे में नहीं लाया गया.
याचिकाकर्ता की मांग है कि इस मामले की जांच राज्य से बाहर के अधिकारियों की एक स्वतंत्र एसआईटी से कराई जाए. वकील का तर्क था कि जब आरोप खुद पुलिस पर हैं, तो उसी पुलिस से जांच कराना कैसे सही ठहराया जा सकता है? ऐसे मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच ही एकमात्र रास्ता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान गंभीर सवाल उठाए. अदालत ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि यह कैसे तय किया जाए कि उस दिन का प्रदर्शन शांतिपूर्ण था या नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जामिया की ओर से दी गई धारा 156(3) की शिकायत पहले ही खारिज हो चुकी है और उस फैसले को चुनौती नहीं दी गई. ऐसे में अब कोर्ट के सामने पेश की गई याचिका में नया क्या है?
24 अप्रैल की तारीख तय, फिर होगी सुनवाई
कोर्ट ने फिलहाल मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 अप्रैल की तारीख तय की है. अब देखना होगा कि क्या अदालत स्वतंत्र जांच के पक्ष में जाती है या फिर याचिका को पुराने आदेशों के आधार पर ही खारिज कर देती है.
विवाद के केंद्र में जामिया मिल्लिया
2019 में जामिया का कैंपस सीएए और एनआरसी विरोध का सबसे बड़ा केंद्र बन गया था. हजारों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. 15 दिसंबर 2019 को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हालात बेकाबू हो गए. पुलिस पर आरोप लगे कि उसने बिना अनुमति कैंपस में घुसकर छात्रों पर बर्बरता की. वहीं पुलिस का दावा था कि प्रदर्शन उग्र हो गया था, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी.
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