नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी विद्यालयों की कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) दाखिल करने का राज्य सरकार को शुक्रवार को निर्देश दिया.इसमें कहा गया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए कैमरे लगाना जरूरी है. हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि गोपनीयता की चिंताओं को लेकर कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने को चुनौती देने वाली दो याचिकाएं असामयिक थीं.इसने कहा कि जब सरकार एसओपी तैयार करेगी,तो वह इस मामले से निपटेगी.
अदालत ने क्या कहा है
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा,''यह आज की तारीख में असामयिक है.जैसे ही एसओपी तैयार की जाएगी,हम देखेंगे.'' हाई कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 जुलाई को सूचीबद्ध किया है.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि कक्षाएं बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान हैं और कैमरे लगाने के लिए माता-पिता से कोई सहमति नहीं ली गई है. इस पर पीठ ने कहा,''आपको ऐसा क्यों लगता है कि राज्य सरकार असंवेदनशील है? यह एक शुरुआती अवस्था में है.यह अब भी विचाराधीन है.''
याचिकाकर्ताओं डेनियल जॉर्ज और दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से पेश अधिवक्ता जय अनंत देहदराई ने कहा कि कैमरे स्कूलों में कुछ स्थानों पर होने चाहिए, लेकिन कक्षाओं में नहीं,क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत छात्रों की गोपनीयता और उनकी गरिमा के संरक्षण से जुड़ा मामला है.उन्होंने कहा कि कक्षाओं के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से बच्चों पर गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है. इस संवेदनशील समूह पर अधिकारियों द्वारा कोई मनोवैज्ञानिक विश्लेषण नहीं किया गया है.
वकीलों ने क्या दलील दी
वकील ने दावा किया कि दिल्ली सरकार तीसरे पक्ष को डेटा की लाइव स्ट्रीमिंग करेगी,जिसका मतलब है कि डेटा अन्य माता-पिताओं के साथ साझा किया जाएगा. हालांकि, पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के परिपत्र में केवल 'ऑनलाइन एक्सेस' शब्द का जिक्र है जो 'लाइव स्ट्रीमिंग' से अलग है.
इससे पहले, दिल्ली सरकार ने कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने के अपने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं है और यह प्रणाली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.
CCTV कैमरों का क्यों रहा है विरोध
याचिकाकर्ता डैनियल जॉर्ज ने 2018 में हाई कोर्ट में यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि कक्षाओं के अंदर कैमरे लगाना स्वस्थ परंपरा नहीं है. कैमरों द्वारा लगातार निगरानी से बच्चों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा,साथ ही ताक-झांक और पीछा करने की आशंका भी बढ़ेगी.
इसके बाद, दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने भी एक याचिका दायर की थी. इसमें सीसीटीवी कैमरे लगाने के फैसले को रद्द करने के साथ-साथ कक्षाओं में पहले से लगे कैमरों को हटाने के निर्देश का अनुरोध किया गया था.
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