Delhi News: दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि 132 से अधिक प्राइवेट स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के प्रवेश में सरकार के नियमों का उल्लंघन करते पाए गए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि ऐसी खाली सीटों का बैकलॉग भरा जाए. न्यायमूर्ति नजमी वजीरी और न्यायमूर्ति विकास महाजन की बेंच ने एक आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में जहां स्कूलों ने EWS श्रेणी के छात्रों के प्रवेश के नियमों का पालन नहीं किया है. ऐसे स्कूलों के बच्चों के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना होगा और एक जिम्मेदार सरकार के रूप में अपना कर्तव्य निभाना होगा.


अदालत का कहना है कि इन परिस्थितियों में राज्य द्वारा हर संभव प्रयास किया जाए. अगले पांच वर्षों में नियमों का पालन करते हुए प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूलों में खाली सीटों का बैकलॉग भरा जाए. दिल्ली सरकार ने पहले अदालत को बताया कि 132 स्कूलों को EWS श्रेणी में छात्रों के प्रवेश में सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करते पाया गया है. ऐसे स्कूलों को सरकार द्वारा नोटिस भेजा गया है. सरकार के अनुसार कुछ स्कूल पिछले कुछ सालों से EWS श्रेणी के छात्रों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं. ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. दरअसल लगभग हर वर्ष 38,000 EWS सीटें आमतौर पर खाली होती हैं. 


दिल्ली सरकार ने प्रवेश स्तर की कक्षाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत दाखिला लेने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 14 जून कर दी है. शिक्षा विभाग के उपनिदेशक योगेश पाल सिंह ने कहा कि प्रवेश स्तर की कक्षाओं में ईडब्ल्यूएस और वंचित वर्ग (डीजी) के तहत सफल बच्चों के दाखिला लेने की तिथि बढ़ाकर 14 जून कर दी गई है.


29 मार्च से शुरू हुए थे एडमिशन
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), वंचित समूह (डीजी) और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) श्रेणियों के तहत शहर के निजी स्कूलों में प्रवेश स्तर की कक्षाओं में एडमिशन 29 मार्च से शुरू हुए थे. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निजी स्कूलों में प्रवेश स्तर की कक्षाओं (नर्सरी, केजी या कक्षा 1) में 25 प्रतिशत सीट ईडब्ल्यूएस, डीजी और सीडब्ल्यूएसएन श्रेणियों के छात्रों के लिए आरक्षित हैं.



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