Delhi: रामलीला मैदान में 10 हजार लोगों की सभा की हाई कोर्ट ने नहीं दी इजाजत, जानें क्या कहा?
Ramlila Maidan Mahasabha: दिल्ली के रामलीला मैदान में 29 अक्टूबर को एक सभा का आयोजन किया गया था. हालांकि पुलिस ने बाद में सभा करने की मंजूरी वापस ले ली. अब कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया है.
Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट (High Court) ने 29 अक्टूबर को रामलीला मैदान (Ramleela Maidan) में 10 हजार लोगों की सभा करने के लिए एक संगठन को दी गई अनुमति रद्द करने संबंधी पुलिस के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि पोस्टर से संकेत मिलता है कि कार्यक्रम सांप्रदायिक (Communal) रंग ले सकता है, जिससे पुरानी दिल्ली (Old Delhi) इलाके में तनाव पैदा होने की आशंका है.
हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद, याचिकाकर्ता संगठन वक्ताओं की एक सूची देकर नई अनुमति मांग सकता है, हालांकि उसे यह आश्वासन देना होगा कि कार्यक्रम के परिणामस्वरूप क्षेत्र में तनाव पैदा नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि आवेदन प्राप्त होने पर अधिकारी उसके आधारों पर विचार कर सकते हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, “16 अक्टूबर को लिखे पत्र में प्रतिवादी संख्या 2 (दिल्ली पुलिस) ने कार्यक्रम के लिए दिए गए एनओसी को वापस ले इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.” उच्च न्यायालय ने यह आदेश ‘मिशन सेव कॉन्स्टिट्यूशन’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनाया.
पुलिस पर मनमानी करने का लगाया आरोप
याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ कई बैठकों और कई मंजूरी लेने के बाद 29 अक्टूबर को जनसभा आयोजित करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में, मध्य दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) ने 'एकतरफा, मनमाने तरीके से' कार्यक्रम को 'सांप्रदायिक' बताते हुए अनुमति रद्द कर दी. याचिकाकर्ता संगठन अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सभी कमजोर वर्गों को मजबूत करने के इरादे से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना चाहता है.
संगठन ने कोर्ट में दी थी यह दलील
संगठन का कहना है कि सभाओं/पंचायतों में सभी उत्पीड़ितों की आवाज उठाई जाएगी और इनकी शुरुआत 29 अक्टूबर से होनी है. हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि पूरे देश में 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक नवरात्रि मनाई गई और 12 नवंबर को दिवाली मनाई जानी है. अदालत ने कहा कि दिवाली और नवरात्रि के बीच, करवा चौथ और धनतेरस जैसे कई त्योहार आते हैं और श्राद्ध के अंत से दिवाली तक की अवधि हिंदू समुदाय के लिए शुभ मानी जाती है.
कोर्ट ने पुलिस के सबूतों के आधार पर कही यह बात
अदालत ने कहा, 'भले ही यह कार्यक्रम लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाना है, लेकिन दिल्ली पुलिस के वकील द्वारा पेश किए गए पोस्टरों के भाव से संकेत मिलता है कि कार्यक्रम सांप्रदायिक रूप ले सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पुरानी दिल्ली इलाके में तनाव बढ़ सकता है. यह एक संवेदनशील क्षेत्र है क्योंकि यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं .”
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