Delhi Election 2025: दिल्ली की पुनर्वास बस्ती मजनू का टीला इलाके के पास संकरी गलियों और अस्थायी घरों में रहने वाले पाकिस्तानी शरणार्थी इस देश में गर्व और कृतज्ञता के भाव के साथ पहली बार अपना वोट डालने की तैयारी कर रहे हैं. पाकिस्तान में उत्पीड़न से बचने के लिए भागकर आए ये लोग भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए उत्साहित हैं. उन्हें इस अधिकार की लंबे समय से ख्वाहिश थी.
पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव सिर्फ वोट देने के बारे में नहीं है, बल्कि यह भारतीय नागरिक के रूप में उनकी पहचान का प्रतीकात्मक दावा भी है. साल 2013 से दिल्ली में बसे इन परिवारों में से कई अब सम्मानजनक जीवन और राजनीतिक भागीदारी के अपने सपने को साकार होते देख रहे हैं.
केवल मतदान करने की नहीं, भारत का नागरिक बनने की खुशी
बस्ती के बाहर मोबाइल कवर की छोटी सी दुकान चलाने वाले सतराम (22) ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मैं 2013 से यहां रह रहा हूं और चुनाव में वोट दूंगा. आखिरकार मतदाताओं का हिस्सा बनकर अच्छा लग रहा है. मैं और मेरे माता-पिता हमारे प्रधान के निर्देशानुसार मतदान करेंगे. चुनौतियों के बावजूद, हमें विश्वास है कि हम आगे बढ़ सकते हैं.”
इन शरणार्थियों का संघर्ष सिर्फ अतीत तक सीमित नहीं है. साफ सफाई, बिजली की लागत, शिक्षा और आवास जैसे मुद्दे उनकी चिंताओं पर हावी हैं. आर्थिक कठिनाइयों के कारण स्कूल छोड़ चुकी 18 वर्षीय मोहिनी ने अपनी आकांक्षाएं साझा कीं. उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी, लेकिन अब यह सपना असंभव लगता है. मेरी सरकार से बस यही उम्मीद है कि मुझे कुछ कौशल आधारित अवसर मिलें, ताकि मैं सम्मान के साथ जीविकोपार्जन कर सकूं.”
10 साल से भारत में हैं, पहली बार करेंगे वोट
वहीं, 35 वर्षीय बलदेवी के लिए मतदान न केवल सशक्तीकरण का प्रतीक है, बल्कि अपने समुदाय की चुनौतियों से निपटने का मौका भी है. उन्होंने कहा, “हम यहां एक दशक से अधिक समय से रह रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार हमारे लिए स्थायी घर बनाए. यह इलाका हमारे लिए जाना-पहचाना है. कहीं और जाने का मतलब होगा एकदम नए सिरे से शुरुआत करना.”
नागरिकता पाने के लिए अब भी संघर्ष
कुछ लोग मतदान के लिए तैयारी कर रहे हैं जबकि हाल में शरणार्थियों का एक नया समूह आया है, जो नागरिकता की प्रतीक्षा में अनिश्चितता और कठिनाइयों का सामना कर रहा है. शिविराम जैसे कई लोग सिर्फ एक महीने पहले ही यहां आए हैं और वे भारत में अपने भविष्य को लेकर आशान्वित हैं. उन्होंने कहा, “मैं यहीं रहना चाहता हूं और दर्जी का काम करना चाहता हूं. मैंने वीजा विस्तार के लिए आवेदन किया है और मुझे उम्मीद है कि मुझे जल्द ही आधार कार्ड मिल जाएगा. इससे मेरे लिए कई अवसर खुलेंगे.”
17 के परिवार में 8 को मिली नागरिकता
45 वर्षीय जानकी का 17 सदस्यों का परिवार एक दशक से अधिक समय से इस बस्ती में रह रहा है. उन्होंने कहा, 'हममें से आठ लोगों को नागरिकता मिल गई है और हम विकसित भारत के लिए वोट करेंगे.” जानकी ने कहा, “उन्होंने हमें नागरिकता दी और राशन कार्ड बनवाने में मदद की. हम आभारी हैं, लेकिन हम रहने के लिए जगह और अपने बच्चों के विकास के लिए भी अवसर चाहते हैं.”
नागरिकता के लिए आवेदन कर चुकी और अपने मतदाता पहचान-पत्र का इंतजार कर रही 27 वर्षीय माया ने कहा, ''हमें ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस सम्मानजनक जीवन और अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बनाने का मौका चाहिए.''
जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर पांच फरवरी को मतदान होगा और मतगणना आठ फरवरी को होगी.
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