Holi 2023 Color: रंगों के त्योहार के लिए बच्चों ही नहीं बल्कि बड़ों में भी काफी उत्साह रहता है. इस दिन वो खुलकर अपने प्रियजनों के साथ रंग (Color) और गुलाल (Gulal) खेलते हैं. इसके लिए लोग तरह-तरह के पकवानों को बनाने की सामग्री के साथ कई तरह के रंगों की भी खरीदारी करते हैं, जिससे वो इस दिन को रंगीन बना सकें. 


कैंसर जैसी बीमारी को भी न्यौता
इन सब चीजों के लिए जहां आम लोग खरीदारी कर रहे हैं, तो रंगों के त्योहार को लोगों को खास बनाने के लिए बाजार भी तरह-तरह के रंगों से सजे हुए हैं. लेकिन क्या आपको पता है, कि त्योहारों के ये रंग दिखने में जितने सुंदर नजर आ रहे हैं, क्या वो उतने ही सुरक्षित भी हैं? जी हाँ, बाजारों में जो रंग बिक रहे हैं, उनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा रंग, खतरनाक बीमारियों को दावत देने वाले हैं. वो भी छोटी-मोटी नहीं बल्कि कैंसर जैसी बेहद गंभीर बीमारी.


सबसे अधिक मिलावट हर्बल रंगों में ही
होली के दिन लोग एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करने की जुगत में लगे रहते हैं. मतलब आप जिससे भी मिलेंगे वो आपको रंगों में रंग देगा, ऐसे में आप भी उन पर रंग डालने से परहेज नहीं करेंगे. लेकिन रंगों को लेकर अहम सवाल ये उठता है कि वो रंग हैं कैसे? वैसे तो हम और आप बाजार से महंगे से महंगे और बढ़िया रंग ये सोच कर खरीदते हैं कि इन रंगों से किसी को कोई दिक्कत न हो. यही कारण है कि पिछले कुछ सालों से हर्बल रंगों का बाजार काफी ज्यादा बड़ा हो गया है. अब आप ये जानकर निश्चित ही चौंक जाएंगे कि हर्बल कहे जाने वाले रंगों की पैंकिंग में ही सबसे ज्यादा मिलावट हो रही है. इसके पीछे का कारण है लोगों का हर्बल रंगों के प्रति झुकाव. इसके लिए लोगों से पैसे भी ज्यादा वसूले जाते हैं.


केमिकल वाले रंगों से बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान
अब होली है, तो लोग एक-दूसरे को रंगेंगे ही और इसके लिए लोग पक्के रंग खरीदने की कोशिश करते हैं, जिससे कि उनका लगाया हुआ रंग उनके प्रियजनों के चेहरे पर गहरा चढ़े और लंबे समय तक रहे. लेकिन, क्या आपको पता है कि वो रंग काफी खतरनाक हो सकते हैं. ऐसे रंग बड़े लोगों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को होता है. बच्चों की स्किन बेहद नाजुक होती है और केमिकल वाले रंग उनकी स्किन में अंदर तक एब्जॉर्ब हो जाते हैं.


ये रंग कर सकते हैं बीमार
बात करें खतरनाक रंगों की तो रंगों में सबसे ज्यादा खतरनाक होता है सिल्वर कलर. ये रंग सबसे ज्यादा पक्का होता है. सिल्वर कलर को मजबूत और चमकदार बनाने के लिए एल्यूमीनियम ब्रोमाइड मिलाया जाता है, जो सीधे-सीधे स्किन कैंसर को दावत देता है. ऐसे में किसी को भी सिल्वर कलर का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.


चमकीले रंगों का भी नहीं करें इस्तेमाल
इसके अलावा लोग होली खेलने के लिए चमकीला रंग भी खरीदते हैं, जो भी स्किन के लिए काफी हानिकारक होता है. चमकीले रंग में यानी शीशा मिला होता है. इससे स्किन एलर्जी होती है. दिखने में ये रंग भले ही काफी आकर्षक लगते हों, लेकिन इससे 80 प्रतिशत तक स्किन एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है.


हरा रंग भी हो सकता है खतरनाक
इसके बाद नम्बर आता है गहरे हरे रंग का. होली के इस इस त्योहार पर सबसे ज्यादा बिकने वाला गहरा हरा रंग भी काफी खतरनाक हो सकता है. भले ही हरा रंग चेहरे पर अच्छा लगता है और लंबे समय तक बना भी रहता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस रंग को गहरा बनाने के लिए इसमें कॉपर सल्फेट मिलाया जाता है. कॉपर सल्फेट आंखों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है. अगर ये आंखों में चला जाए तो रोशनी तक जा सकती है.


ऐसे करें रंगों की पहचान
होली खेलने के लिए सिल्वर कलर, चमकीले और गहरे हरे रंग से परहेज करें. इसके अलावा रंग खरीदते समय आप इस बात का ख्याल रखें कि वो केमिकल वाले न हों. इसके लिये कुछ तरीके हैं, जिससे आप रंगों में मिलावट की पहचान कर सकते हैं


● किसी भी रंग में आपको चमक नजर आए उसे बिल्कुल न लें. रंगों में चमक बढ़ाने के लिए शीशे के छोटे-छोटे कण डाले जाते हैं, दिखने में वो खूबसूरत लगते हैं, लेकिन कई बार बड़ी मुसीबत बन सकता है.


● गहरे रंग के बदले हल्के रंगों को तरजीह दें. रंगों को ज्यादा गाढ़ा बनाने के लिए उसमें और ज्यादा केमिकल मिलाए जाते हैं.


● आप थोड़ा सा पानी लेकर भी रंगों की पहचान कर सकते हैं. अगर रंग में केमिकल या सीशा होगा तो वो पानी में नहीं घुलेगा.


● एक और चीज है जो नकली रंगों में सबसे ज्यादा होती है और एक सी होती है. वो हैं इनकी गंध. अगर आपको उनमें पेट्रोल जैसी या फिर केमिकल जैसी गंध आए तो समझ लीजिए कि वो रंग मिलावटी और खतरनाक है और आपको बीमारी दे सकता है.


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