Journey of Asaram: आसाराम बापू के धार्मिक साम्राज्य का पतन तब शुरू हुआ जब अहमदाबाद में उनके आश्रम के दो छात्रों की लाश साबरमती नदी से बरामद होने की घटना सामने आई. आसाराम बापू एक ऐसे स्वयंभू संत हैं, जो कुछ ही सालों में धर्म का ज्ञान देते-देते अकूत संपत्ति का मालिक बन गए. देखते ही देखते उनके चौखट पर नेता से लेकर अभिनेता तक माथा टेकने लगे. बहुत कम समय में उन्होंने शैंपू, साबुन, अगरबत्तियां व अन्य सामान बेचकर देशभर में 400 से ज्यादा आश्रम बना लिए. अरबों रुपए के मालिक बने आसाराम बहुत जल्द भक्तों के बीच देवदूतों की तरह शुमार हो गए. इन सबके बीच उनका धार्मिक साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचता रहा, लेकिन एक ही झटके में अचानक सब स्वाहा हो गया. इसी के साथ आसाराम बापू अर्श से फर्श पर आ गए. 


दरअसल, हाल ही में गुजरात के गांधीनगर कोर्ट ने सूरत की दो बहनों से रेप के मामले में 30 जनवरी 2023 को आसाराम बापू को दोषी करार दिया. कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दूसरी तरफ बाबा का बेटा नारायण साईं भी दुष्कर्म के आरोप में जोधपुर जेल में बंद है. इससे पहले बापू को जोधपुर की अदालत ने भी नाबालिग से रेप के मामले में दोषी करार दिया था. आयकर विभाग ने साल 2016 में आसाराम की अरबों रुपए के साम्राज्य का पर्दाफाश किया था. इसके बाद उन पर तरह-तरह  के आरोप लगे. आईटी विभाग के खुलासे से सा हो गया कि आसाराम ने धर्म को धंधा बना लिया था. उन्होंने अपने भक्तों को न केवल लूटा बल्कि तबाह कर दिया. 2016 में आईटी की कार्रवाई से इस बात का भी खुलासा हुआ कि वह भक्तों को ब्याज पर कर्ज भी देता था. विदेशी कंपनियों में भी इसके ट्रस्ट ने पैसा लगाया और मोटा मुनाफा कमाया. आईटी अधिकारियों ने बाबा पर टैक्स चोरी का भी आरोप लगाया. आईटी रिपोर्ट की मानें तो बाबा ने लीलाधारी का रूप धारण कर 2300 करोड़ से ज्यादा की काली दौलत कमाई. 


ऐसे बदली बापू की किस्मत


आसाराम बापू का जन्म 1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक साधारण हिंदू परिवार में हुआ था. उनका जन्म महंगीबा और थाउमल सिरुमलानी के घर हुआ. बाबा का बचपन का नाम आसुमल थाउमल हरपलानी है. 1947 में देश विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से गुजरात के अहमदाबाद पहुंच गया. जीवन के शुरुआती दिनों में उन्होंने अहमदाबाद में तांगा चलाया. साइकिल की दुकान में काम किया. कहते हैं न कि कुदरत का खेल निराला होता है. किसी को क्या पता था कि तांगा चलाने वाला लड़का एक दिन अकूत संपत्ति का बेताज बादशाह बन जाएगा. आसुमल थाउमल हरपलानी उर्फ आसाराम बापू सिर्फ चौथी कक्षा पास हैं. साइकिल दुकान में काम करने के दौरान ही आसुमल की मुलाकात लीला शाह बाबा से हुई. लीला शाह बाबा खुद को कच्छ का संत बताते थे. आसुमल लीला शाह की हैसियत को देख अचंभित होते थे. फिर क्या, आसुमल भी उसी राह पर निकल पड़े. 


ऐसे बने आसुमल से आसाराम 


धर्म को धंधा बनाने के इस सफर में निकलने से पहले उन्होंने अपना मूल नाम आसुमल को बदलकर आसाराम बापू रख लिया. आसाराम के बारे में कहा जाता है कि किशोर उम्र में वह कच्छ के संत लीला शाह बाबा का अनुयायी बनना चाहते थे, लेकिन उनका जिद्दी होने की वजह से उन्होंने बापू को कभी उपयुक्त व्यक्ति के रूप में स्वीकार नहीं किया. तब तक आसाराम की सच्चाई सार्वजनिक तौर पर किसी के सामने नहीं आई थी. आसुमल ने अपना नाम आसाराम बापू रखते ही अपना पहनावा भी बदल लिया और एक सन्यासी की तरह सफेद चोला धारण कर लिया. उनके सत्संग में लोग जुटने लगे. 


मोटेरा में खोला पहला आश्रम


1970 के दशक में बापू ने अहमदाबाद शहर से 10 किलोमीटर दूर कस्बे में अपना पहला आश्रम शुरू किया. उनका धार्मिक साम्राज्य तेजी से बढ़ने लगा. उन्होंने गुजरात के मोटेरा में पहला आश्रम स्थापित किया. अपने भक्तों को आस्था से जोड़ा. साथ ही भक्तों को धर्म के नाम पर कमाई का जरिया बना लिया. इस बीच आसाराम ने आघ्यात्मिक पत्रिकाएं निकालने का काम भी शुरू कर दिया. इससे उनके पास मोटा पैसा आने लगा. मैगजीन और धार्मिक गतिविधियों से उनके पास करोड़ों रुपए आने लगे. देखते ही देखते उन्होंने देशभर में कई आश्रम बनाए. आज भी बापू के कई आश्रमों की जमीन अदालती मुकदमों में उलझी हुई हैं. जनसेवा के नाम पर बापू ने आयुर्वेदिक दवाइयां, गौ मूत्र, सैंपू, साबुन और अगरबत्तियों से बड़ा मुनाफा कमाया. उन्होंने कमाई का दूसरा जरिया भक्तों से मिलने वाले चंदा को बनाया. हर महीने करोड़ों रुपए चंदे के रूप में आने लगा. हर साल गुरु पूर्णिमा, दीवाली व अन्य अवसरों के बड़े कार्यक्रम आयोजित करने लगे. इससे उनकी कमाई कई गुना बढ़ गई.  यहां से शुरू हुआ पतन का दौर साल 1980 के बाद से वो विवादों में आने लगे 2008 तक उनका पतन तेजी से शुरू हो गया. उनके धार्मिक साम्राज्य का पतन तब शुरू हुआ जब अहमदाबाद में उनके आश्रम के दो छात्रों की लाश साबरमती नदी से बरामद होने की घटना सामने आई. आरोप है कि उन्होंने तांत्रिक अनुष्ठान के मकसद से छात्रों को मरवाया था. यह मामला सामने आने के बाद मोदी सरकार ने जांच के लिए आयोग गठित किया, लेकिन तब भी उनका साम्राज्य बढ़ता रहा. इस दौरान भी उन्होंने भक्तों से भावनात्मक संबंध बनाकर मोटी कमाई की. 


2013 बापू के लिए साबित हुआ सबसे खराब साल


इस बीच अगस्त 2013 उनके जीवन में नया दौर शुरू हुआ. यूपी की एक नाबालिग लड़की ने परिजनों के साथ पुलिस को बताया कि जोधपुर आश्रम में बापू ने उसका शारीरिक शोषण किया. 20 अगस्त 2013 को नाबालिग लड़की का मेडिकल कराया गया. मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई. नाबालिग से रेप का मामला दर्ज हुआ. दिल्ली पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद मामले को जोधपुर पुलिस को सौंप दिया. 2 सितंबर 2013 आसाराम के मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट में आसाराम बापू को सेक्स करने में सक्षम होने की बातें सामने आई. 7 अप्रैल 2018 को एससी एसटी अदालत में इस मामले में जिरह पूरी हुई. 25 अप्रैल 2018 को अदालत ने आसाराम को नाबालिग से रेप का दोषी माना. उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली. इस बीच सुनवाई के दौरान 10 से ज्यादा प्रत्यक्षदर्शियों पर हमले हुए. उनमें से 3 की जान चली गई. एक की तो जोधपुर की अदालत में छूरा घोंपकर हत्या ई. अब तो गांधीनगर कोर्ट ने भी एक अन्य मामले में आसाराम को दोषी मान लिया है. यानी अब बापू की जिंदगी जेल में ही गुजरने वाली है. 


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