Delhi News: क्या आप दिल्ली इन छह राजशाही भवनों के बारे में जानते हैं? जानें इनके इतिहास और महत्व
Hyderabad House: हैदराबाद हाउस में विश्व की विख्यात राजनीतिक हस्तियां बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश, ब्लादिमीर पुतिन, गोर्डन ब्राउन, बराक ओबामा के आगमन का भी साक्षी बन चुका है.
Delhi News: आजादी से पहले अंग्रजी हुकुमत ने भारतीय रियासतों के जाराओं संग मिलकर राजधानी दिल्ली में छह भव्य इमारतों का निर्माण किया. ये इमारत आज भी जस की तस खड़ी हुई हैं, जिसे दिल्ली में रहने वाला हर शख्स जानता है. इन भवनों में कभी राजा और उनकी रानी निवास करती थीं, लेकिन अब इन्हें सरकारी काम में लिया जाता है. ये सभी छह भवन भारत सरकार ने अधीन आते हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं उन सभी छह भव्य इमारतों के बारे में.
हैदराबाद हाउस
हैदराबाद हाउस दिल्ली के अकबर रोड पर स्थित है. यह लुटियन दिल्ली के पहले सबसे पंसदीदा भवनों में से एक रहा है. यहां विश्व की विख्यात राजनीतिक हस्तियां बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश, ब्लादिमीर पुतिन, गोर्डन ब्राउन, बराक ओबामा के आगमन का भी साक्षी बन चुका है. सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए यहां आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध है. इसकी भव्यता आज भी बरकरार है. बताया जाता है कि जब हैदराबाद हाउस को बनाया जा रहा था, उस वक्त इस भवन को बनाने के लिए निजाम ने 20 हजार पाउंड खर्च किए थे. हैदराबाद के निजाम ने यहां अपनी सभी बेगमों के लिए अलग-अलग कमरे भी बनावाए. निजाम उस समय दुनिया के सबसे अमीर राजाओं में शुमार किए जाते थे. हैदराबाद हाउस के अंग्रेजी आर्किटेक्ट लुटियन हैं.
बड़ौदा हाउस
बड़ौदा हाउस का डिजाइन भी लुटियन ने ही बनाया था. इतिहास के मुताबिक बड़ौदा के राजा गायकवाड़ की बारह साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार ने सन 1875 में ताजपोशी की थी. इसलिए राजा अंग्रेजों के काफी करीबी थे. हैदराबाद हाउस की तरह यहां जनाना नहीं बनाया गया क्योंकि राजा ने एक ही शादी की थी. चूंकि राजाओं को अंग्रेजी वास्तुशिल्प ज्यादा प्रभावित करती थी इसलिए इस महल के हर कोनें में अंग्रेजी रहन-सहन उभरता है. बड़ौदा हाउस में अब यहां रेलवे का दफ्तर है.
पटियाला हाउस
पटियाला हाउस को पंजाब के पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह के लिए बनवाया गया था. इस भवन को भी लुटियन ने ही डिजाइन किया था, लेकिन इसकी बनावट में सादगी का बहुत खयाल रखा गया है. इस पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं किए गए. इसकी संरचना में तितली नुमा ढांचे की आकृति तो उभरती ही है. इसके अलावा छतरियों में पंजाबी शिल्प का भी प्रयोग किया गया है. राजा ने इस भवन को ब्रिटिश के साथ ही पटियाला में बने भवनों की तर्ज पर बनाने की इच्छा जाहिर की थी. बता दें कि 1970 के दशक में जब राजशाही को खत्म किया गया तो इसे सरकार को बेचा गया. जिसके बाद यहां जिला अदालत बना दी गई. जिसे अब पटियाला हाउस कोर्ट के नाम से जाना जाजा है.
जयपुर हाउस
जयपुर हाउस को राजा सवाई मानसिंह के लिए बनवाया गया था. इस भवन को सजाने के लिए खासकर हाथी के चित्रों का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि इस भवन में भी स्तूप बनाया गया जिसके दोनों ओर कमरे भी बनाए गए. वर्तमान में जयपुर हाउस में राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय है. इस भव्य महल में 1700 से ज्यादा आधुनिक कलाकृतियों को रखा गया है. चूंकि लुटियन अन्य भवनों को बनाने में व्यस्त थे इसलिए इस भवन को आर्किटेक्ट आर्थर ब्लूम फील्ड ने डिजाइन किया है. इसलिए इसकी बनावट बाकी तीन भवनों से कुछ अलग है.
बीकानेर हाउस
बीकानेर हाउस को राजा गंगा सिंह के लिए बनवाया गया था. इस भवन का नक्शा भी आर्किटेक्ट आर्थर ब्लूम फील्ड ने बनाया था. इसे कई मायनों में ऐतिहासिक माना जाता है. आजादी की लड़ाई के दौरान हुई बहुत सी अहम बैठकों इसी भवन में हुईं. यहीं पर करीब 526 शाही प्रदेशों, ब्रिटिश राज्यों के एकीकरण करने के लिए बैठकें हुईं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने गोल मेज सम्मेलन की बैठक में जाने से पहले यहीं कई नेताओं के साथ बैठक की थी.
ग्वालियर हाउस
सर एडविन लैंडसीर लुटियन ने इंडिया गेट के चारों ओर छह भवनों की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें ग्वालियर हाउस नहीं बनाया गया था. इसके पीछे भी कहानी ये हा कि इन छह रियासतों और सूबे के महाराजाओं को ब्रिटिश सरकार ने इंडिया गेट के पास जगह दी. लेकिन ग्वालियर के महाराजा ने खुद ही भवन बनवाने से मना कर दिया. ऐसा बताया जाता है कि सन 1803 में पटपड़गंज मराठों के अधीन था, उस समय यहां दौलत राम सिंधिया राजा हुआ करते थे. वर्ष 1803 में यहां ब्रिटिश और मराठे सिंधिया के बीच लड़ाई हुई जिसमें मराठों की हार हुई. इस युद्ध के तीन दिन बाद अंग्रेजों ने शहर पर कब्जा कर लिया. इसी लड़ाई में हार के कारण इनके वंशजों ने इंडिया गेट पर भवन नहीं बनवाया.