Delhi Politics: 'मैंने बनाया था दिल्ली में शिक्षा क्रांति का ड्राफ्ट', कुमार विश्वास बोले- '12वीं पास करके कोई व्यक्ति...'
कवि कुमार विश्वास ने दिल्ली शिक्षा नीति को लेकर कहा कि, इसका शुरुआती डॉफ्ट मैंने ही बनाया. अन्यथा मुझे नहीं लगता कि कोई 12वीं पास व्यक्ति शिक्षा के बारे में इतना कुछ और इतना बड़ा सोचेगा.
Delhi News: अन्ना आंदोलन के बाद लोगों के सामने कई क्रांतिकारी चेहरे उभरकर सामने आए थे. इनमें से एक चेहरा कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) का भी था. कुछ समय तक दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहने के बाद कुमार विश्वास का राजनीति से मोहभंग हुआ तो वो अपने पुराने पेशे यानी अध्ययन-अध्यापन और साहित्य रचना के क्षेत्र में लौट आए. लेकिन वे अक्सर इशारों-इशारों में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर निशाना साधते रहते हैं. ऐसे में एक बार कुमार विश्वास ने बिना किसी राजनेता का नाम लिए दिल्ली सरकार पर तंज कसा है.
इंटरव्यू में खुद किया खुलासा
'द लल्लनटॉप' को दिए एक इंटरव्यू में जब कुमार विश्वास से शिक्षा से जुड़ी उनकी योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं शिक्षा योजना को लेकर बहुत सालों से काम कर रहा था. मूलत: 2011-12 मैंने सोचना शुरू किया था और 2014-15 में सरकार बनी तो जो तथाकथित शिक्षा का इतना बड़ा वितंडा खड़ा हुआ, इसका शुरुआती डॉफ्ट मैंने ही बनाया. अन्यथा मुझे नहीं लगता कि कोई 12वीं पास व्यक्ति शिक्षा के बारे में इतना कुछ और इतना बड़ा सोचेगा. जिसने यूनिवर्सिटी ही न देखी हो, लेकिन मेरे घर में सभी यूनिवर्सिटी में थे और अभी भी हैं.'
'200 एकड़ जमीन में बनाऊंगा स्कूल'
कुमार ने आगे कहा, 'मेरे मन में था कि समस्या कहां आ रही है, बच्चे ऐसे मिल कैसे रहे हैं, तो बहुत दिन से सोच रहा था और हो रहा नहीं था. तो अब मैंने सोचा कि ये मैं खुद ही शुरू करूंगा. जो मेरे चाहने वाले हैं, जो मेरे साथ आने वाले हैं वो जो भी दान देंगे ले लूंगा, नहीं तो खुद रात-रात भर कमा कर पैसे डालूंगा उसमें. मैंने 'अपने-अपने राम' कार्यक्रम का पैसा एक ट्रस्ट में डालना शुरू किया और एक योजना बनाई 'भारतकूलम', इसमें 200 एकड़ जमीन में एक स्कूल बनाना है और उस स्कूल में छोटी-छोटी 40-50 बातें हैं जिनपर कोई ध्यान नहीं देता है. जैसे बच्चा जिस क्लास का हो वो जुलाई से लेकर फरवरी तक उतने पेड़ लगाएगा और उनकी देखभाल भी खुद करें. इसके उसको इंटरनल मार्क मिलेंगे. यानी की साल के आखिरी तक जितने पेड़ बचे उतने मार्क बच्चे को मिलेंगे. इससे बच्चे को कई बातें सीखने को मिलेंगी और वो बच्चा जब इंजीनियर बनेगा तो विकास के नाम पर जंगल नहीं काटेगा.'
12वीं का बच्चा बोलेगा 34 तरह की बोली
कुमार विश्वास ने अपने प्लान के बारे में आगे बताया कि 'इसके साथ ही बच्चा जब हॉस्टल में रहेगा तो वो अलग-अलग भाषा, बोली, धर्म, प्रदेश के बच्चों के साथ रहेगा और हर साल उसके साथ रहने वाले बच्चे बदलेंगे. तो 12वीं क्लास तक वो 34 प्रकार की भाषा, बोलियां सीख जाएगा. तो वो बच्चा राष्ट्रीय एकता का सम्मान करेगा. वहीं साथ ही वहां के जो टीचर होंगे वो बच्चों के साथ रहेंगे और उन्हें बना बनाया 3BHK दिया जाएगा. जैसे दिल्ली में कोई 10वीं क्लास में पढ़ाता है तो उसे एक लाख दिया जाता है, लेकिन मैं उसे कहता हूं कि दो लाख ले और साथ ही बिजली, पानी हर चीज की सुविधा दूंगा, लेकिन किचन नहीं रहेगा, क्योंकि खाना आप और आपका परिवार भी हॉस्टल में खाएंगे. जो बच्चे के लिए वो होगा वो आप भी खाओ और देखो आपको शाम को क्या बनवाना है.'
300 बच्चों का होगा स्कूल
कुमार ने कहा कि अभी तीन हजार बच्चों का प्लान है, जिसमें डेढ़ हजार बच्चे पेड होंगे, जिनकी फीस लूंगा और डेढ़ हजार बच्चे पूरे भारत से ऐसे चुने जाएंगे जिनके मां-बाप 100 रुपये भी खर्च नहीं कर सकते हैं, लेकिन वो प्रतिभा संपन्न हों उनमें ललक दिखे पढ़ने की. इसके साथ ही एक हफ्ते के लिए कोई सफल आदमी बच्चों के साथ आकर रहेगा. इससे बच्चों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. वहां खेती भी कराई जाएगी. ऐसे ही 40 बातें उसमें मैंने जोड़ी है. ऐसे बच्चे जब वहां से 12वीं करके बाहर आएंगे तो बहुत कुछ सीख कर और एक नए जोश के साथ देश के लिए कुछ करेंगे.
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