1991 बैच के आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका को 54वीं बार ट्रांसफर कर दिया गया है. हांलांकि उनके ट्रांसफर का कारण सरकार ने अभी तक नहीं बताया है लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने पहाड़ी इलाकों की सुरक्षा पर सरकार को गौर करने के कई बार ध्यान दिलाया है जो कि ट्रांसफर की वजह हो सकती है.
हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को सीनियर आईएसएस ऑफिसर अशोक खेमका को ट्रांसफर का ऑर्डर दिया है. वो इस वक्त आर्काइव्स, आर्कियालॉजी और म्यूजियम्स डिपार्ट्मेंट में प्रिसिपल सेक्रेट्री की हैसियत से काम कर रहे थे और ट्रांसफर होने के बाद वो हरियाणा साइंस और टेक्नालॉजी डिपार्टमेंट में प्रिसिपल सेक्रेट्री के तौर पर काम करेंगे. अशोक खेमका के लिए 29 सालों के ब्यूरोक्रेटिक करियर में ये 54वीं बार उनको ट्रांसफर का सामना है. इससे पहले ऑफिसर खेमका को एक साल और ग्यारह महीने पहले ट्रांसफर फेस करना पड़ा था.
अधिकारियों के हिसाब से, एक प्रि-हिस्टोरिक टाइम के साइट और रॉक-शेल्टर पर जो कि शिलाकारी, मंगर, कोट, धौज और नुरपुर धुमसापुर और गुड़गांव के क्षेत्र में आते हैं. इन्हीं की खोज पर खेमका ने सरकार का ध्यान दिलाया था कि रोजका-गुज्जर और कोट में कमर्शियल इंट्रेस्ट है. वहीं दमदमा, धौज और शिलाकारी में माईनिंग इंट्रेस्ट है.
खेमका ने कहा था, “अगर पहाड़ियों, जंगलों और अरावली की खेती वाले क्षेत्रों को जो कि PLPA एक्ट के सेक्शन 4,5 के तहत आते हैं, इनको सेक्शन 4 के नोटिफिकेशन में नहीं जोड़ा गया, तो प्राइवेट कमर्शियल/ माइनिंग इंट्रेस्ट का कब्जा हो जाएगा जिसकी वजह से प्री-हिस्टोरिक साइट और रॉक-शेल्टर्स की पब्लिक इंट्रेस्ट में प्राकृतिक सुरक्षा संभव नहीं हो सकेगी. एनसीआर के क्षेत्र में कमर्शियल इंट्रेस्ट, अरावली के लिए वक्त से पहले बरबादी का कारण बनेंगे”.
ये भी पढ़ें: