Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में गिरफ्तार पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से गुरुवार को पूछा कि अगर यह नीति ‘‘इतनी अच्छी’’ थी तो उन्होंने इसे वापस क्यों लिया? जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में सह-आरोपी विजय नायर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए आम आदमी पार्टी नेता के वकील से उनके सवाल पर ‘‘ठोस जवाब देने’’ के लिए कहा. इस पर उन्होंने कहा कि सिसोदिया के पास कई अन्य विभागों के साथ आबकारी विभाग का प्रभार भी था.
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘अगर नीति इतनी अच्छी थी तो आपने उसे वापस क्यों लिया? इस पर ठोस जवाब दीजिए.’’ इसके बाद अदालत को बताया गया कि तिहाड़ जेल में बंद सिसोदिया ने एक बार फिर अपनी अंतरिम रिहाई की अर्जी दायर की है. सिसोदिया के वकील ने अदालत से कहा कि यह नीति तब वापस ली गई जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने शराब की दुकानों को ‘‘निषिद्ध’’ क्षेत्रों में खोलने की अनुमति नहीं दी थी, जिसके कारण नुकसान हुआ. उन्होंने दावा किया कि 10 साल के लिए लागू पहले की नीति के तहत ऐसे इलाकों में दुकानें खोली गई थी.
नई आबकारी नीति इसलिए ली वापस
नई आबकारी नीति के तहत प्रत्येक लाइसेंसधारक को हर नगर निगम वार्ड में तीन दुकानें खोलनी थीं. हालांकि, कई क्षेत्रों को निषिद्ध करार दिया गया, जहां दिल्ली मास्टर प्लान के कथित उल्लंघनों को लेकर नगर निकायों की कार्रवाई के कारण दुकानें नहीं खुल सकीं. हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दावा किया कि आरोपियों के गलत कारनामों का ‘‘खुलासा’’ होने के कारण यह नीति वापस ली गई.
लाइसेंसधारकों को दिए गए अनुचित लाभ
दिल्ली के पूर्व सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामले की जांच में जुटी सीबीआई और ईडी के अनुसार आबकारी नीति में बदलाव करते हुए ये अनियमितताएं की गईं और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिए गए. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया गया. वहीं मनीष सिसोदिया की ओर से पेश वकीलों ने अदालत को बताया कि ‘आप’ नेता ने अपनी पत्नी के बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत के लिए नई याचिकाएं दायर की हैं. अदालत ने 30 मई को सीबीआई द्वारा जांचे जा रहे आबकारी नीति घोटाले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनके खिलाफ आरोप काफी अहम हैं.
यह भी पढ़ें: Delhi Ordinance: 'सभी शीर्ष अधिकारी सख्ती से करें केंद्र के अध्यादेश पर अमल', AAP सरकार का फैसला