दिल्ली में होने वाल तीन नगर निगमों (एमसीडी) के चुनावों पर सभी पार्टियों की नजरें हैं. वहीं कहा जा रहा है केंद्र सरकार की योजना है कि एमसीडी को एकीकृत किया जाए. इस खबर के आने से राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) की काफी मुश्किलें बढ़ेंगी और नगर निकायों के लिए एक बड़ा काम होगा. क्योंकि अगर एमसीडी एकीकृत हो जाते हैं तो सभी आरक्षित सीटों में फेरबदल करना पड़ेगा.
बता दें कि अभी भी दिल्ली में होने वाली एमसीडी के चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है. वहीं इस चुनाव को लेकर दिल्ली चुनाव आयोग की तरफ से 25 जनवरी को महिलाओं और अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षित वार्डों की एक लिस्ट भी जारी कर दी गई है. महिलाओं के लिए 46 वार्डों को आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जिसमें से 46 वार्डों में से 20 उत्तर नगर निकाय, 15 दक्षिण निगम, और 11 पूर्वी एमसीडी के अंतर आते हैं.
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फिर से करनी होगी गणना
अगर एमसीडी के तीन नगर निगमों को एक कर दिया जाता है तो सीधी से बात है कि सभी प्रक्रिया फिर से करनी होंगी. वहीं इस खबर के सामने आते ही चुनाव अधिकारियों का कहना है कि एमसीडी के एकीकृत होने पर दिल्ली की आबादी की आराक्षित सीटों की फिर से गणना करनी पड़ेगी.
दिल्ली में अनुसूचित जातियों का कुल प्रतिशत लगभग 16.73 है. बताते चले कि उत्तरी दिल्ली में अनुसूचित जातियों की आबादी सबसे अधिक है और अगर यहां पर गणना होगी तो इस क्षेत्र में सबसे अधिक आरक्षित वार्ड बन सकते हैं. वहीं इस मामले पर दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता ने कहा माना जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय आरक्षित वार्डों को पूरी तरह से चुनने के फॉर्मूले को बदल देगा.