Delhi News: पराली की समस्या से अब मिलेगा छुटकारा! IIT दिल्ली ने खोजा नया उपाय
IIT Delhi News: आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने पराली की समस्या से निजात दिलाने के लिए एक बेहतरीन तकनीक विकसित की है. इस तकनीक को हरित भविष्य की ओर बड़ा कदम माना जा रहा है.
Delhi News: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने पराली की समस्या से निजात दिलाने के लिए एक बेहतरीन तकनीक विकसित की है. इसे IIT दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग (डीओसीई) की कुसुम सैनी (पीएचडी रिसर्च स्कॉलर) ने सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर वसंत मतसागर और सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर नीतू सिंह के मार्गदर्शन में एक स्टार्टअप के तहत विकसित किया है, जो भारत के हरित भविष्य के दृष्टिकोण को पूरा करने के साथ कृषि अवशेषों का इस्तेमाल कर टिकाऊ और किफायती घरों के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त करता है.
कृषि अवशेषों से बने टिकाऊ और किफायती घर
डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग की पीएचडी रिसर्चर कुसुम सैनी ने बताया कि उनकी इस तकनीक को हरित भविष्य की ओर एक कदम के तहत ‘कृषि अवशेषों से बने टिकाऊ और किफायती घर’ का नाम दिया गया है. उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में पराली को खेत में जलाया जाता है, जिसके धुएं की वजह से एनसीआर में लोगों को परेशानी होती है. आम लोगों की दिक्कतों के समाधान, पर्यावरण को बचाने और किसानों को आय का साधन मुहैया करवाने के मकसद से इस तकनीक को इजाद करने पर काम शुरू किया गया था.
किसानों के साथ आम लोगों को भी होंगे फायदे
इससे पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्याओं और स्टील और अन्य कृत्रिम निर्माण सामग्री के उत्पादन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण का समाधान हो सकता है. वहीं इस तकनीक से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार भी पैदा होने की काफी संभावनाएं हैं. इस तकनीक से किसानों के साथ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को भी फायदा होगा. जहां एक तरफ किसानों को पराली की कीमत मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ इससे लोगों को सस्ता और टिकाऊ मकान मिल सकेगा. वैज्ञानिकों की मानें तो पराली की ईंट से उन क्षेत्रों में भी तुरंत मकान बनाया जा सकता है, जो भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावित होते हैं.
कल यानी शनिवार को IIT दिल्ली के कैम्पस में आयोजित हुए 16वें ओपन हाउस के मौके पर कुसुम सैनी की इस तकनीक का शोकेस किया गया. इससे पहले, कुसुम सैनी और और प्रोफेसर मतसागर के शोध कार्य को नई दिल्ली में आयोजित ग्लोबल इंडियन साइंटिस्ट्स एंड टेक्नोक्रेट्स फोरम (जीआईएसटी) द्वारा आयोजित ग्लोबल इंडियन यंग साइंटिस्ट्स रिसर्च एंड इनोवेशन कॉन्फ्रेंस 2023 में सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
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