Delhi: राजधानी दिल्ली के कई रिहायशी इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा है. इनमें से अधिकतर डाई और जीन्स की फैक्ट्रियां हैं, जिनसे निकलने वाले हानिकारक केमिकल युक्त वेस्ट वाटर को नाले में छोड़ा जाता है जो आगे जा कर यमुना में मिलता है और यमुना को प्रदूषित करने के साथ उसके पानी को जहरीला बनाती है. जबकि, यमुना की सफाई और उसके अस्तित्व को बचाने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम किया जा रहा है. इन अवैध फैक्ट्रियों से निकलने वाले हानिकारक केमिकल को देखते हुए इन्हें सील करने की कवायद शुरू की गई है.


जल बोर्ड ने कार्रवाई के लिए एमसीडी को लिखा पत्र


दिल्ली नगर निगम (MCD), दिल्ली जल बोर्ड (DJB), डीपीसीसी (DPCC) की संयुक्त जांच के बाद 8 अक्टूबर तक दिल्ली के अलग-अलग रिहायशी इलाकों में 258 फैक्ट्रियों की लिस्ट बनाई गई है. जिन्हें नोटिस देने के बाद इनमें से कुछ फैक्ट्री बंद हो गईं, लेकिन अधिकतर अभी भी चल रही हैं. जिनके खिलाफ कार्रवाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने MCD को पत्र लिखा है. जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अवैध डाइंग फैक्ट्रियां जींस की रंगाई के लिए हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल करती है और वेस्ट वाटर को नाले में छोड़ देती हैं. नाले का पानी आगे यमुना में जाता है, जिससे यमुना का पानी प्रदूषित और जहरीला हो रहा है.


बंद कराने के बाद खुल रही हैं नई फैक्ट्रियां


जल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक गंदे नालों के पानी को ट्रैप कर उन्हें ट्रीट किया जाता है और उसके बाद ट्रीटेड वॉटर यमुना में छोड़ा जाता है. इंडस्ट्रियल वेस्ट वाटर को भी ट्रीट कर यमुना में छोड़ा जा रहा है. लेकिन, अवैध रूप से चल रही डाइंग और जींस फैक्ट्रियों से अभी भी केमिकल युक्त हानिकारक पानी नाले में छोड़ा जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि ऐसी ज्यादातर फैक्ट्रियां पश्चिमी दिल्ली के रिहायशी इलाके में है. ऐसी फैक्ट्रियों को लगातार बंद भी कराया जा रहा है, लेकिन, कुछ ही दिनों के बाद फिर नई फैक्ट्री खुल जा रही है. उन्होंने बताया कि इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक किये गए सर्वे में डाइंग और जीन्स की फैक्ट्रियों की संख्या 203 थी, जो अगस्त से अक्टूबर के दौरान को गयी सर्वे के मुताबिक बढ़कर 258 हो गई है.


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