राजधानी दिल्ली में सोमवार को 100 किमी प्रति घंटा तक की तेज हवाओं के साथ बारिश आई और इससे काफी नुकसान हुआ. इस तरह के मौसम की जानकारी देने में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) पूरी तरह से फेल रहा है, क्योंकि रविवार को आईएमडी ने सोमवार के लिए दिल्ली में बादल गरजने का पूर्वानुमान लगाया और दिल्ली के लिए ग्रीन अलर्ट जारी किया था. इसके बाद फिर सोमवार को ही दोपहर तीन बजे के लगभग येलो अलर्ट  किया. इसके बाद अंत में फिर शाम लगभग 4.30 बजे एक ऑरेंज अलर्ट जारी किया लेकिन तब तक लोगों और एजेंसियों को एहतियाती कदम उठाने में पहले ही बहुत देर हो चुकी थी.


आईएमडी ग्रीन अलर्ट जबा जारी करता है जब कोई मौसम की घटना की उम्मीद नहीं होती है. इस दिन गरज का पूर्वानुमान होता है जो बिना किसी बारिश के बादल छाए रहने का संकेत देता है. इसके साथ ही यलो अलर्ट जब जारी किया जाता है जब मौसम में कुछ बदलाव होता है. इसके साथ ही ऑरेंज अलर्ट जब जारी किया जाता है जब तेज बारिशा का संकेत हो और जिसमें लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा जाता है.


मौसम विभाग इसलिए रहा फेल


आईएमडी के अधिकारियों का कहना है कि मई और जून के पूर्व-मानसून महीनों में होने वाले मौसम में इस तरह के अचानक बदलाव को पकड़ना मध्यम अवधि के मॉडल पर कब्जा करना मुश्किल है. जो सॉफ्टवेयर उपग्रह डेटा और डॉपलर मौसम रडार के संयोजन पर निर्भर करता है. दिल्ली के चारों ओर 400 किमी का दायरा है जिसके लिए हर 2-3 घंटे में मौसम को ट्रैक किया जाता है. इस मौसम की जानकारी न होने पर आईएमडी के वैज्ञानिक आरके जेनामणि का कहना है कि ज्यादातर महीनों में पूर्वानुमान की विश्वसनीयता आमतौर पर लगभग 95-100% होती है, लेकिन अस्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण मई और जून में 80% से नीचे गिर जाती है.साल के इस समय के दौरान बारिश और गरज के साथ इस तरह की गतिविधि की भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल है.


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जेनामणि ने कहा इस समय अधिकतम तापमान और सापेक्षिक आर्द्रता दोनों अधिक है. जितनी अधिक नमी होगी, उतनी ही अधिक संभावना होगी कि अचानक गरज के साथ बादल बनेंगे. बता दें कि सोमवार को दोपहर 1.02 बजे आईएमडी ने हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश के साथ गरज के साथ एक नाउकास्ट जारी किया. इसके बाद अगले दो घंटों में यूपी और राजस्थान के कुछ हिस्सों में 40 किमी/घंटा तक की हवा चलेगी. निजी मौसम पूर्वानुमानकर्ता स्काईमेट में मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत का कहना है कि आम तौर पर ऐसे मौसम की घटनाओं के लिए भविष्यवाणी करने और अलर्ट जारी करने के लिए केवल दो घंटे का समय रहता है.


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