Delhi News: दिल्ली में एक हैरान करने वाला वाकया सामने आया है. यहां स्मृति (बदला हुआ नाम) लड़की के रुप में पैदा हुई, 16 साल तक स्मृति ने लड़की की जिदगी गुजारी. वो लड़कियों के साथ सरकारी स्कूल में पढ़ी और बड़ी हुई. साथ ही 10वीं क्लास के एग्जाम भी इसी नाम स्मृति से दिया. लेकिन 16 साल के बाद उसे पता चला कि वह लड़की नहीं बल्कि लड़का है. वहीं लड़की स्मृति अब मोहित हो गया है. हालाकि मोहित बनने के बाद उसे 10वीं के एग्जाम फिर से देने पड़े.  


मेरा विकास ना देख, मेरी मां को चिंता हुई- मोहित
अब स्मृति से मोहित हो चुके लड़के ने बताया कि "जब मैं 16 का हो गया तो मुझे फिर भी पीरियड्स नहीं आए और ब्रेस्ट्स का विकास नहीं हुआ तो मेरी मां को चिंता हुई. मां मुझे घर के पास के मोहल्ला क्लिनिक लेकर गई, मगर मेरे अंदर कुछ गड़बड़ देखकर मुझे दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल रेफर कर दिया, डीडीयू अस्पताल में मुझे बताया गया कि मैं लड़का हूं." दरअसल स्मृति का जन्म एक पुरुष के रुप में हुआ था. लेकिन उसे एक दुर्लभ जेनिटल कंडीशन थी जिसे पेरिनियल हाइपोस्पेडिया कहा जाता है. इसमें उसे पेशाब करने का छेद टिप की जगह टॉप पर था.  


डीडीयू ने केस लोक नायक अस्पताल रेफर किया
दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टरों ने मोहित का केस देखने के बाद उसे लोक नायक अस्पताल रेफर कर दिया, जहां उसका इलाज प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट में शुरू किया गया. मोहित की सर्जरी 3 साल तक चली. 3 साल पहले उनकी यहां पहली सर्जरी हुई, उनकी आखिरी सर्जरी इसी साल मार्च 2022 में हुई. मोहित के बारे में लोकनायक अस्पताल और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ पीएस भंडारी ने कहा, "अब मोहित पूरी तरह पुरुष है, उसे अपनी पहचान के लिए और नहीं लड़ना होगा मोहित की मां घरेलू सहायिका हैं और पिता नाई का काम करते हैं." वहीं मोहित ने कहा मेरे परिवार को पता था कि मैं लड़की पैदा हुई थी, मगर वह अब खुश हैं कि घर में एक और पुरुष सदस्य है. मेरे परिवार के लोग पूरी तरह मेरे साथ हैं, उन्होंने इस यात्रा में मेरा पूरा साथ दिया.


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समाज में उलाहना मिलती थी
मोहित ने बताया कि उन्हें धमकाया जाता था और किन्नर कह कर बुलाया जाता था, मोहित ने आगे कहा, "जब मैं बड़ा हो रहा था, मैं लड़कियों के जोर आकर्षित होता था. कुछ लोगों ने कहा कि मैं समलैंगिक हूं. स्तनों के बजाय, मेरी दाढ़ी थी. मेरी आवाज मर्दाना थी और मुझे खेल खेलने में मजा आता था. मुझे जींस और टॉप पहनना अच्छा लगता था, लेकिन बाहर जाते समय सलवार पहनना पड़ता था. मैं अपनी लिंग पहचान को लेकर असमंजस में थी. मेरी नाक और कान छिदे हुए हैं. अब सुझे कोई किन्नर नहीं कहता."


मुझे दुबारा आधार कार्ड बनवाना पड़ा
हालांकि पहली सर्जरी के बाद, मोहित को फिर से दसवीं क्लास की एग्जाम देने पड़े, क्योंकि मैनें अपना नाम और लिंग बदल लिया था. मुझे नया आधार कार्ड भी बनवाना पड़ा. लोग अब हमारे घर आते हैं यह देखने के लिए कि कैसे एक लड़की लड़का बन गई. हम उन्हें मेडिकल प्रोसेस नहीं समझा सकते क्योंकि यह बहुत साइंटिफिक है. लेकिन अब कोई मुझे किन्नर नहीं कहता. वहीं डॉ भंडारी ने बताया कि मोहित के प्राईवेट पार्ट मुड़े हुए थे और अंडकोष के बीच मिडलाइन में दब गए थे. इससे ऐसा लगता था कि यह किसी लड़की का प्राइवेट पार्ट है.


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