Ankit Gujjar Death Case News: अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने तिहाड़ जेल में अंकित गुज्जर की कथित हत्या के मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है. उसने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) को इस बारे में सूचित किया है. उसने ये भी अदालत को बताया कि मृतक के भाई की तरफ से किए गए ऑनलाइन भुगतान और जेल कर्मचारियों के एक बार कथित तौर पर नकदी स्वीकार किए जाने सहित सभी पहलुओं की जांच की जा रही है.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने गुज्जर के परिवार को सीबीआई और महानिदेशक जेल की तरफ से दायर की गई स्थिति रिपोर्ट पर जवाब देने की गुरुवार को अनुमति प्रदान कर दी. इन लोगों ने दिल्ली पुलिस से मामले की जांच स्थानांतरित किए जाने का आग्रह किया था और धन की मांग पूरी न किए जाने पर जेल अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न किए जाने का आरोप लगाया है. जेल प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और चालू करने का काम पूरा हो चुका है और सीसीटीवी के काम नहीं करने की स्थिति में प्रत्येक जेल में शरीर पर पहने जाने वाले कैमरे भी उपलब्ध कराए गए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, “वर्तमान में, 6,944 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और ये दिल्ली की सभी जेलों में काम कर रहे हैं. इन कैमरों की रिकॉर्डिंग एक महीने के लिए दो अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षित रखी जाती है, एक उसी जेल में और दूसरी जेल मुख्यालय में.” 29 वर्षीय गुज्जर चार अगस्त को तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में मृत पाया गया था. अपनी स्थिति रिपोर्ट में, सीबीआई ने बताया कि ये साबित हुआ है कि मृतक के भाई के खाते से कई यूपीआई भुगतान किए गए थे और ऑनलाइन भुगतान प्लेटफॉर्म पेटीएम की प्रतिक्रिया के बाद लाभार्थियों की जांच की जाएगी.
उसने कहा कि एक गवाह ने बताया कि मार्च में, जेल के एक कर्मचारी को उसके द्वारा गुज्जर की ओर से दी गई नकदी मिली और इस पहलू की जांच चल रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक 11 कैदियों सहित 27 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और हमले में कथित हथियार के रूप में इस्तेमाल की गईं पांच लाठियों लाठी को कब्जे में ले लिया गया है. चश्मदीदों ने दावा किया है कि पहले गुज्जर और एक जेल अधिकारी, एक उपाधीक्षक के बीच लड़ाई हुई थी और उनमें से एक ने गुज्जर तथा दो अन्य लोगों की पिटाई होते देखी.
गुज्जर को जेल अधिकारी परेशान कर रहे थे- परिजन
दिल्ली पुलिस से जांच को स्थानांतरित किए जाने की याचिका में मृतक कैदी के परिवार की ओर से वकील महमूद प्राचा ने आरोप लगाया था कि गुज्जर को जेल अधिकारी परेशान कर रहे थे क्योंकि गुज्जर "पैसे की उनकी नियमित रूप से बढ़ती मांगों को पूरा करने में असमर्थ" था और "एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत" उसकी हत्या कर दी गई. याचिका में दावा किया गया था कि तिहाड़ में जेल अधिकारी एक "संगठित वसूली सिंडिकेट" चला रहे थे और अपराधियों को बचाने के लिए पुलिस जांच में हेरफेर करने की कोशिश कर रही थी. मामले में अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी.
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