JMI University News Today: जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीएआरएस) की शोध टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल पैथोलॉजी के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. दरअसल, जेएमआई-एमसीएआरएस की पीएचड छात्रा निशा चौधरी ने एआई संचालित ओरल कैंसर डेटाबेस तैयार किया है. इसकी मदद से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (ओएसएमएफ) और ओरल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (ओएससीसी) के निदान की सटीकता एवं दक्षता को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
डॉ. तनवीर अहमद के मार्गदर्शन में पीएचडी छात्रा निशा चौधरी के इस स्टडी को प्रतिष्ठित नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के अंतर्गत साइंटिफिक डेटा में प्रकाशित किया जाएगा. इस क्रांतिकारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल को डिजिटल छवियों के माध्यम से ओरल कैंसर की प्रगति का सटीक रूप से पता लगाने एवं निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसमें एक मिलियन से अधिक छवियों की जांच के साथ तीन लाख से अधिक उच्च-रिजॉल्यूशन ऊतक छवियों के व्यापक डेटासेट का उपयोग किया गया था.
ओआरसीएचआईडी (ओरल कैंसर हिस्टोलॉजी इमेज डेटाबेस) डेटासेट, भारत भर के अस्पतालों से सावधानीपूर्वक एकत्र किए गए नमूनों से बनाया गया था, जिसमें रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, झारखंड की डॉ. अर्पिता राय की देखरेख में तैयार किया गया था. इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की डॉ. दीपिका मिश्रा, मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज नई दिल्ली की डॉ. ऑगस्टीन और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यूपी के डॉ. अखिलेश कुमार ने भी अहम भूमिका निभाई थी.
'कैंसर के शुरुआती निदान में मिलेगी मदद'
पीएचडी शोध छात्रा निशा चौधरी ने कहा, “हमारा ओरल डेटासेट कैंसर के शुरुआती निदान को तेज, अधिक सटीक और सभी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. वह भी सीमित पैथोलॉजी संसाधनों वाले क्षेत्रों में.”
शोध स्टडी के वरिष्ठ लेखक डॉ. तनवीर अहमद ने इस विकास के महत्व पर बल देते हुए कहा, “यह दुनिया का पहला ऐसा व्यापक डेटाबेस है, जहां तक विश्व भर के शोधकर्ता डिजिटल पैथोलॉजी में अपने खुद के अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए पहुंच सुनिश्चित करने का अनुरोध कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि भारत दुनिया का पहला देश है, जिसने ऐसा व्यापक डेटाबेस बनाया है.
दुनिया के रोगियों को मिलेगा इसका लाभ
केजीएमयू के एमडीएस ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डॉ. अखिलानंद चौरसिया ने व्यापक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल पैथोलॉजी ने पहले ही ओरल कैंसर के निदान की दुनिया को बदल दिया है. हमारी टीम ने जो डेटाबेस बनाया है, उसका विश्व भर के रोगियों पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा.”
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