Dhani Ram Mittal: सबसे बड़ा वाहन चोर धनी राम मित्तल का निधन, फर्जी तरीके से जज बन मचाया था तहलका
Dhani Ram Mittal News: धनी राम मित्तल फर्जी तरीके से झज्जर कोर्ट का जज बन हिस्ट्रीशीटर और कुख्यात अपराधियों को रिहा किया या उसे जमानत पर छोड़ दिया. खुद की खुशी के लिए करता था लग्जरी कारों की चोरी.
Dhani Ram Mittal Case: देश के सबसे बड़ा लग्जरी वाहन चोर धनीराम मित्तल (Dhani Ram Mittal) का 85 साल की उम्र में निधन हो गया. चौंकाने वाली बात है कि अपने आपराधिक वारदातों के दुनिया भर में चर्चित धनीराम मित्तल खुद की खुशी के लिए लग्जरी वाहनों की चोरी करता था. उसने चोरी, फर्जी डिग्री, फेक तरीके से झज्जर का जज बन हिस्ट्रीशीटर और कुख्यात अपराधियों को रिहा करने सहित इतने अपराध किया कि देश और दुनिया में चर्चित हो गया.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि कई दशकों तक अपराध की दुनिया में सक्रिय रहे मित्तल की गुरुवार को मौत हो गई. मित्तल लंबे समय से बीमारी से परेशान था. बीते गुरुवार को उसकी मौत हुई. उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई. मित्तल का दिल्ली के निगमबोध घाट पर उसके बेटे ने अंतिम संस्कार किया.
90 से अधिक बार गया जेल
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और राजस्थान में चोरी के 150 मामलों में मित्तल 90 से अधिक बार जेल गया था. उन्होंने कहा, ‘‘मित्तल के अपराधों की सूची लंबी है, वह अपने जीवनकाल में चोरी, धोखाधड़ी और जालसाजी के 1,000 से अधिक मामलों में सीधे तौर पर शामिल था.’’
57 साल पहले जरायम की दुनिया में रखा था कदम
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मित्तल सबसे पहले 1964 में धोखाधड़ी के एक मामले में फंसा था और उसके बाद वह लगातार अपराध में लिप्त रहा. दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने याद किया कि मित्तल ने निजी इस्तेमाल के लिए हरियाणा स्थित झज्जर अदालत की पार्किंग से कारें चुराई थीं। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम मित्तल की आपराधिक प्रोफाइल पढ़ रहे थे, तो हमें पता चला कि वह कुछ दिनों के लिए झज्जर में न्यायाधीश बनकर पहुंचने में कामयाब रहा और लंबी सजा काट रहे अपराधियों को रिहा करने का आदेश पारित कर दिया.’’
निजी खुशी के लिए चुराता था लग्जरी कारें
पुलिस अधिकारी के मुताबिक मित्तल काफी पढ़ा लिखा था और उसने रोहतक से प्रथम श्रेणी में बीएससी और बाद में राजस्थान से एलएलबी किया था. अधिकारी ने बताया कि एलएलबी के बाद उसने विभिन्न अधिवक्ताओं के लिए मुंशी (क्लर्क) के रूप में भी काम किया. वह अपनी निजी खुशी के लिए लग्जरी कारें चुराता था. उसने जाली दस्तावेज़ भी बनाए और स्टेशन मास्टर की नौकरी हासिल की और 1968 से 1974 तक काम किया.
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