AIIMS Skin Bank: दिल्ली एम्स में स्किन बैंक की शुरुआत, आग से झुलसने वाले 50% मरीजों की बच सकेगी जान
AIIMS Skin Bank: दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल में स्कीन बैंक की शुरुआत के 10 दिनों के अंदर ही दूसरे स्किन बैंक की शुरुआत की गई है, जो दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का भी दूसरा स्किन बैंक है.
Delhi News: राजधानी दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दुनिया भर में विभिन्न रोगों के मरीजों के इलाज के लिए मशहूर है. यहां उपलब्ध विश्वस्तरीय और आधुनिक चिकित्सीय सुविधा की वजह से देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते हैं. मरीजों को लगातार बेहतर और सहज उपचार प्रदान करने की दिशा में अब AIIMS में भी स्कीन बैंक (Skin Bank) का शुभारंभ किया गया है. दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल में स्कीन बैंक की शुरुआत के 10 दिनों के अंदर ही दूसरे स्किन बैंक की शुरुआत की गई है, जो दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का भी दूसरा स्किन बैंक है.
स्किन बर्न के मरीजों को मिलेगा मदद
स्कीन बैंक में दान की गई त्वचा की सहायता से विभिन्न प्रकार की घटनाओं में स्किन बर्न के शिकार हुए मरीजों की स्किन का उपचार किया जा सकेगा. एम्स के निदेशक डा. एम. श्रीनिवास ने बर्न और प्लास्टिक सर्जरी ब्लाक में इस नए स्किन बैंक का औपचारिक शुभारंभ किया. अभी इस स्किन बैंक को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अंग प्रत्यारोपण संगठन से लाइसेंस का इंतजार है. एम्स का कहना है कि एक सप्ताह में लाइसेंस मिल जाएगा और 15 दिन में यह स्किन बैंक कार्यरत हो जाएगा.
1 व्यक्ति की स्किन से 2 मरीजों का इलाज
बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि वैसे तो किसी भी मृत व्यक्ति की त्वचा का दान हो सकता है, लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 80 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों की त्वचा नहीं ली जाएगी. मृत व्यक्तियों का मौत के छह घंटे के अंदर ही त्वचा दान की जा सकेगी. लेकिन एचआईवी, हेपेटाईटिस बी, सी, स्किन कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से संक्रमितों की त्वचा दान में नहीं ली जाएगी. एक व्यक्ति के त्वचा दान से बर्न के दो मरीजों की जिंदगी बच सकेगी. मृतक की दोनों जांघ से त्वचा दान में ली जाती है, जिसकी प्रोसेसिंग के बाद उसे 4 से 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जिसे किसी को भी लगाया जा सकेगा, इसके लिए डोनर और रिसीवर के ब्लड ग्रुप या ह्यूमन ल्यूकोसाईट एंटीजन के मिलान की जरूरत नहीं है.
बर्न केस में बच सकेगी 50% मरीजों की जान
उन्होंने बताया कि भारत में हर साल लगभग 70 लाख लोग आग और अन्य कारणों से झुलस जाते हैं. इनमें से डेढ़ लाख लोगों की जान चली जाती है. जिसका कारण कारण संक्रमण होता है। त्वचा झुलसने के एक से तीन सप्ताह के बीच संक्रमण की आशंका रहती है. ऐसे में मरीज को त्वचा लगाने की जरूरत होती है. स्किन बैंक की सहायता से इन मामलों में मरने वाले लोगों की संख्या में 50 प्रतिशत तक कि कमी आ सकती है. एम्स पहले से मुंबई और इंदौर के दो अस्पतालों के संपर्क में है, जहां स्किन बैंक है. वहां से कुछ मरीजों के लिए पहले त्वचा मंगाई गई है.
गौरतलब है कि, आग, बिजली, गर्म धातु, तेजाब के शिकार लोगों की स्किन कई बार जलने और झुलसने के कारण खराब हो जाती है. कई बार ये समुचित उपचार न हो पाने की वजह से विकृत भी हो जाते हैं. वहीं अब इस स्किन बैंक की वजह से विभिन्न प्रकार के स्किन जलने और झुलसने की घटना के शिकार हुए लोगों का इलाज हो सकेगा.