रेलवे ने महिला सुरक्षा के मद्देनजर एक अहम कदम उठाया है. अब आपात स्थिति में महिला यात्री सीधे गार्ड केबिन, लोको पायलट और कंट्रोल रूम से मदद मांग सकेंगी. ट्रेन में सफर के दौरान आए दिन महिलाओं से छेड़छाड़ या किसी अन्य तरह की परेशानी के मामले सामने आते रहते हैं. इसके मद्देनजर रेलवे ने महिला सुरक्षा को लेकर बेहद सराहनीय कदम उठाया है. दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर ये बटन भारतीय रेलवे की ईएमयू और मेमू ट्रेनों में लगाए जाएंगे.


रेलवे के उत्तरी जोन ने उपलब्ध कराएगा आपातकालीन बटन सुविधा


उत्तर रेलवे जोन ने महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए आपातकालीन बटन सुविधा उपलब्ध करा रहा है. ये दिल्ली से गाजियाबाद, मेरठ, पानीपत, रोहतक, सोनीपत, अलवर, पलवल, गुरुग्राम, फरीदाबाद, अलीगढ़, शामली और बागपत जैसे शहरों के लिए उपलब्ध होंगे. इस पहल से महिला यात्रियों को जरूरी मदद और सुरक्षा मिलेगी.


इस रूट पर हर दिन सफर करती हैं एक लाख से अधिक महिलाएं


किसी भी आपात स्थिति में महिला यात्री बटन दबा सकती हैं और दूसरी तरफ एक रिसोर्स व्यक्ति शिकायतकर्ता की मदद करेगा. उत्तर रेलवे के अनुसार, इन मुख्य रूट्स पर एक लाख से अधिक महिला यात्री अपने काम के सिलसिले में सफर करती हैं. कोचों में टॉक बटन भी लगाए जाएंगे. ये बटन यात्रियों को अपने सफर के दौरान अपनी शिकायतें साझा करने में मदद देंगे. ये सीधे उस स्टेशन के गार्ड केबिन, लोको पायलट और कंट्रोल रूम से संपर्क में रहेंगे. जिसके तहत आपात स्थिति में गार्ड केबिन और लोको पायलट यात्री की शिकायत का समाधान करने वाले पहले व्यक्ति होंगे.


लगाने के टेंडर की प्रक्रिया शुरू


दिल्ली रेलवे बोर्ड ने फिलहाल इसकी स्थापना के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि पहले ही कुछ क्षेत्रीय रेलवे में महिलाओं के डिब्बों और ईएमयू रेक में सीसीटीवी कैमरे, फ्लैशर लाइट लगा दिए गए हैं. जब कोच की अलार्म चेन खींची जाएगी तो ये लाइटें जलने लगेंगी और बजर भी बजेगा.


जीपीएस सहित लगेंगे कई आधुनिक सिस्टम 


इसके साथ ही रेलवे के सुधार और आधुनिकीकरण के लिए, मंत्रालय ने कई अन्य पहल भी की हैं. जैसे हॉट बॉक्स डिटेक्टर (बीबीडी), मशीन विजन इंस्पेक्शन सिस्टम (एमवीआईएस) और वैगनों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सहित अन्य कई अत्याधिक सिस्टम, मॉडर्न तकनीक अपनाया जाएगा.


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