International Women’s Day: पति परेशान कर रहा हो तो तलाक, गुजारा भत्ता से लेकर बच्चे की कस्टडी तक, जानिए आपके पास क्या हैं कानूनी विकल्प
International Women’s Day: भारतीय संदर्भ में बात करें तो कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें शादी के बाद महिलाओं को घर में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

International Women’s Day: दुनिया भर में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाने और अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1996 से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को एक स्पेशल थीम के साथ मनाना शुरू किया. इसके बाद हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस बार संयुक्त राष्ट्र ने "एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता (Gender equality today for a sustainable tomorrow)" तय किया है.
हालांकि कई वादों और दावों के बाद भी महिलाओं की स्थिति कई मामलों बहुत बेहतर नहीं है. भारतीय संदर्भ में बात करें तो कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें शादी के बाद महिलाओं को घर में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
आइए हम आपको भारत में महिलाओं के उन अधिकारों के बारे में बताते हैं जिससे विपरीत परिस्थितियों में उनको काफी मदद मिल सकती है.
- हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13 के अंतर्गत महिला को पति से तलाक लेने का अधिकार है.
- अगर किसी महिला का तलाक का मामला चल रहा है तो वह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत गुजारा भत्ता मांग सकती है.
- तलाक का फैसला लेने के बाद महिला गुजारा भत्ते के तौर पर परमानेंट एलिमोनी की मांग कर सकती है.
- महिला को अधिकार है कि वह बच्चे की कस्टडी की मांग कर सकती है.
- अगर बच्चा पांच साल से कम उम्र का है तो कानूनी आदेश की जरूरत भी नहीं है.
- हिन्दू अडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 के अंतर्गत अविवाहित महिला को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार है.
- मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के अनुसार प्रसव के बाद काम से 3 महीने की छुट्टी ले सकती है.
- दहेज निषेध एक्ट की धारा 406 के अंतर्गत अगर कोई पति पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करता है तो उसको और उसके परिवार वालों को 3 साल की सजा हो सकती है या फिर जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर जुर्माना और सजा दोनों हो सकती है.
- घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत महिला खुद पर हो रही उत्पीड़न की शिकायत कर सकती है.
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