Swearing-In-Ceremony Of The Vice President-Elect Jagdeep Dhankhar : जगदीप धनखड़ ने देश के 14वें उपराष्ट्रपति के तौर पर गुरुवार दोपहर को शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने धनखड़ को शपथ दिलाई. निर्वाचित उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत मंत्रिमंडल के कई मंत्री मौजूद रहे
इससे पहले जगदीप धनखड़ ने बापू के स्मारक गए. जगदीप धनखड़ का शपथ ग्रहण समारोह दोपहर साढ़े 12 बजे राष्ट्रपति भवन में हुआ. बता दें 6 अगस्त को संपन्न हुए उपराष्ट्रपति के चुनाव में कुल 725 सांसद ने वोट दिया. इसमें 710 मत वैध और 15 वोट अवैध पाये गए. इस में जगदीप धनखड़ को 525 और मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे.
लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य से
जगदीप धनखड़ 71 वर्ष के हैं और वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है. उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. इत्तेफाकन लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य के हैं. वर्तमान में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं.
जानें उपराष्ट्रपति जगदीप धनरड़ के बारे में
जगदीप धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू से एक किसान परिवार से आते हैं. पिता गोकुल चंद्र धनखड़ किसान थे. उनके पास राजनीति का करीब 30 वर्षों का अनुभव है. 1989 में वह सक्रिय राजनीति उतरे थे. धनखड़ पेशे से वकील भी है. कानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू कर दी थी और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट में वह सीनियर एडवोकेट बन गए. उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की. धनखड़ देश की गिनती देश के जाने-माने वकीलों में होती है.
पहली बार जनता दल के टिकट से सांसद का चुनाव लड़ा
पहली बार वह जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से सांसद चुने थे. 1990 में चंद्र शेखर सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री की भी जिम्मेदारी मिल चुकी है. 1993 से 98 तक वह धनखड़ विधायक भी रहे. भारत सरकार ने उन्हें 20 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद उन्होंने राज्यपाल के पद से इस्तीफ दे दिया था.
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