Delhi Politics News: गोरखपुर (Gorakhpur) स्थित गीता प्रेस (Gita Press) को गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) दिए जाने का कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि यह फैसला वास्तव में पुरस्कर का उपहास है. वहीं, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा (Kapil Mishra) ने प्रतिक्रिया दी है. कपिल मिश्रा ने सीधे जयराम रमेश का तो नाम नहीं लिया है लेकिन कहा कि गीता प्रेस ने अब तक श्रीमद्भगवद्गीता की 16 करोड़ से ज्यादा कॉपियां छापी हैं तो कांग्रेस के पेट में दर्द होना स्वाभाविक है.
कपिल मिश्रा ने ट्विटर के जरिए कांग्रेस पर हमला बोला है. कपिल मिश्रा ने कहा, 'गीता प्रेस ने अब तक 16 करोड़ से ज्यादा श्रीमद्भगवद्गीता, 11 करोड़ तुलसीदास की रचनाएं, 3 करोड़ पुराण और उपनिषद की कॉपियां छापी हैं. कांग्रेस के पेट में दर्द होना स्वाभाविक है. गीता प्रेस और कांग्रेस एक दूसरे के विपरीत विचार हैं. जब पहले अंग्रेज और फिर कांग्रेस देश से धर्म और साहित्य खत्म करने का पाप कर रही थी, तब गीता प्रेस ने हिंदू धार्मिक साहित्य को घरघर पहुंचाने का अद्भुत कार्य किया.'
जयराम रमेश के बयान से कांग्रेस कुछ नेता असहमत
जयराम रमेश ने कहा कि 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर के गीता प्रेस को दिया जा रहा है, जो कि इस साल अपनी शताब्दी मना रहा है. अक्षय मुकुल ने इस संगठन को लेकर 2015 में बेहतरीन बायोग्राफी लिखी थी, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के साथ इसके तीखे संबंध का खुलासा किया था. इसके अलावा महात्मा गांधी के साथ राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे को लेकर चल रही लड़ाइयों का भी पता चला था. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है. यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
हालांकि सूत्रों की मानें तो जयराम रमेश के बयान से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता सहमत नहीं है. उनका कहना है कि जयराम रमेश ने गैरजरूरी बयान दिया है. हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में गीता प्रेस की बड़ी भूमिका रही है.
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