DELHI NEWS: जामिया मिलिया इस्लामिया के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (MCARS) के शोधकर्ताओं ने एक ऑप्टोजेनेटिक उपकरण विकसित किया है, जिसमें अल्जाइमर, अवसाद और सिजोफ्रेनिया जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों को समझने की क्षमता है. इस शोध को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के सहयोग से किया गया.
डॉ. तनवीर अहमद ने विकसित किया उपकरण
इस उपकरण को अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. तनवीर अहमद द्वारा विकसित किया गया था, जिन्होंने सहायक प्रोफेसर के रूप में एमसीएआरएस में शामिल होने से पहले NIH में पोस्टडॉक्टरल की ट्रेनिंग ली थी. डॉ. अहमद ने कहा कि इन रोगों के आणविक विवरण को समझने से लक्षित उपचारों को विकसित करने में मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि इस ऑप्टोजेनेटिक उपकरण को स्मृति निर्माण जैसे अन्य जैविक प्रश्नों के समाधान के लिए और कैंसर और न्यूरोडीजेनेरेशन के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है.
मानव रोगों को समझने और उनके उपचार में देगा अहम योगदान
अल्जाइमर, स्किजोफ्रेनिया और अवसाद जैसी बीमारियों में एनआरजी 3 में आनुवंशिक बहुरूपता होती है. इसके कारण इसे इन रोगों के लिए अतिसंवेदनशील जीन माना जाता है. इस उपकरण के इस्तेमाल से शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस न्यूरॉन्स में प्रोटीन ट्रेफिकिंग के एक नए तंत्र की खोज की जिसे उन्होंने ट्रांस-सिनैप्टिक रिटेंशन कहा. MCARS के डायरेक्टर प्रोफेसर जुल्फेक्ववार ने कहा कि ये नई भविष्यवादी ऑप्टोजेनिक तकनीक मानव रोगों को समझने उपचार के नये समाधान खोजने में बड़ी भूमिका निभाएगी. उन्होंने कहा कि यूएसए, एनआईएच जैसे दुनिया के प्रमुख संस्थानों के साथ हमारा सहयोग दर्शाता है कि भारत इन अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने और लागू करने में सबसे आगे है.
भारत की ओर से ये शोधकर्ता रहे शामिल
इस अध्ययन को द रॉकपेलर यूनिवर्सिटी और यूएसए द्वारा एक अध्यधिक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका जर्नल ऑफ सेल बायोलॉजी में प्रकाशित किया गया. भारत की ओर से इस शोध में डॉ. तनवीर के अलावा निशा चौधरी, ऋतुपर्णा चौधरी ने भी सहयोग दिया. एनआईएच की टीम में वरिष्ठ लेखक डॉ. एन्ड्रेस बुओनानो, डॉ. डेटलेफ वुल्होस्र्ट, डॉ. कार्लोस गार्डिया, डॉ. इरिना करावानोवा, और अन्य सह-लेखकों के रूप में डॉ. जुआन बोनिफेसिनो शामिल थे. इस शोध को एनआईएच, एमसीआरएसीएस और जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने साथ मिलकर किया.
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