JNU PhD Admissions 2022: जेएनयू पीएचडी एडमिशंस में फिर से लागू हो सकती है डेप्रिवेशन व्यवस्था, ये है योजना
Jawaharlal Nehru University PhD Admissions 2022: जेएनयू, दिल्ली में पीएचडी एडमिशंस में फिर से डेप्रिवेशन व्यवस्था लागू करने पर विचार चल रहा है. इस वजह से लिया जा सकता है ये फैसला.
JNU PhD Admissions 2022 Deprivation Model May Implement Soon: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली (JNU Delhi) में पीएचडी कोर्सेस (JNU PhD Admissions 2022) में एडमिशन के लिए डेप्रिवेशन व्यवस्था (JNU PhD Admissions 2022 Deprivation System) फिर से लागू की जा सकती है. इससे पिछड़े क्षेत्रों के स्टूडेंट्स खासकर लड़कियों को दाखिले में मदद मिलेगी. जेएनयू में फिर से डेप्रिवेशन प्वॉइंट सिस्टम लागू करने पर विचार विमर्श चल रहा है. बता दें कि पहले भी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पीएचडी एडमिशन में डेप्रिवेशन प्रणाली लागू की जाती थी पर कुछ समय पहले इसे हटा दिया गया था.
क्या कहना है जेएनयू वीसी का –
इस बारे में जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित का कहना है कि डेप्रिवेशन प्वॉइंट मॉडल जेएनयू की सबसे अलग और अनूठी व्यवस्था है. यूनिवर्सिटी में समानता लागू करने के लिए डेप्रिवेशन प्वॉइंट मॉडल की जरूरत है इसलिए इसे फिर से लागू किया जाएगा.
क्या है इसके पीछे का कारण –
इस बारे में जेएनयू कुलपति ने ये भी कहा कि पीएचडी एडमिशन में ये व्यवस्था लागू करने के पीछे बड़ा कारण आरक्षित सीटों का न भरना है. हर साल आरक्षित कोटे के लिए तय सीटें खाली रह जाती हैं. इसलिए यूनिवर्सिटी ने तय किया है कि ये व्यवस्था लागू की जाए ताकि अधिक से अधिक एडमिशन हों.
इस साल बंद कर दी गई थी ये व्यवस्था –
जेएनयू में डेप्रिवशन प्वॉइंट व्यवस्था को साल 2017 में एमफिल और पीएचडी कोर्स के लिए बंद कर दिया गया था. बता दें कि की विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों को दाखिले के समय एक से पांच अंक मिलते हैं. इसके साथ ही महिलाओं और ट्रांसजेंडर को भी ये अंक दिए जाते हैं.
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