(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
JNU ने कैंटीन-ढाबा मालिकों को भेजा यूनिवर्सिटी कैंपस खाली करने का नोटिस, ये है वजह
Delhi News: दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने परिसर चल रही कैंटीन और ढाबा मालिकों को जगह खाली करने के नोटिस भेजे हैं. जेएनयू प्रशासन के कैंटीन और ढाबों के संचालकों को नोटिस भेजने की वजह भी बताई है.
Jawaharlal Nehru University: राजधानी दिल्ली (Delhi) स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने उन कैंटीन (Canteen) और ढाबा (Dhaba) मालिकों को परिसर (Campus) खाली करने के नोटिस भेजे हैं, जिन्होंने अपना व्यवसाय (Business) शुरू करने के बाद से बिलों का भुगतान नहीं किया है. एक बयान में यह जानकारी दी गई है. विश्वविद्यालय (University) ने रविवार देर शाम एक बयान में कहा कि ये नोटिस इसलिए जारी किए गए हैं क्योंकि इन मालिकों ने 2019 के बाद से उन्हें जारी किए गए किसी भी नोटिस का जवाब नहीं दिया. इन नोटिस में बकाया राशि का भुगतान करने का अनुरोध किया गया था.
परिसर विकास समिति (CDC) के अध्यक्ष सुधीर कुमार (Sudheer Kumar) ने एक बयान में कहा, ‘‘जेएनयू में शैक्षणिक भवनों (Academic buildings in JNU) सहित विभिन्न स्थानों पर कब्जा जमाए सभी लोगों को नोटिस जारी किया गया है. वे बिना किसी आवंटन (Without Any Allocation) के कारोबार कर रहे हैं. वे बिना किसी लाइसेंस शुल्क (License Fee) और बिजली (Electricity), पानी (Water), संरक्षण शुल्क (Protection Fee) जैसी अन्य देय राशि के भुगतान (Payment) के बिना अपना व्यवसाय करना जारी रखते हैं.’’ बयान में कहा गया है कि सीडीसी ने 17 जनवरी की बैठक में इस तरह का नोटिस देने का फैसला किया था.
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नोटिस मिलने पर कैंटीन मालिकों ने यह कहा
जेएनयू प्रशासन (JNU Administration) ने 22 जून को परिसर स्थित कई कैंटीन और ढाबों के संचालकों को लाखों रुपये की बकाया राशि चुकाने और 30 जून तक विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का नोटिस दिया था. नोटिस को लेकर कैंटीन संचालकों ने कहा कि बकाया राशि का भुगतान करना उनके लिए बहुत कठिन हैं और उन्हें अपनी आजीविका पूरी तरह से खोने का खतरा है. जेएनयू ने कहा कि अगर उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो वह स्वीकृत स्थान या दुकान आवंटित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
10 लाख का बिल पाने वाले कैंटीन मालिक ने बयां किया दुख
नोटिस पाने वाले एक कैंटीन संचालक ने कहा कि प्रशासन ने उसे किराये और बिजली शुल्क के रूप में बकाया 10 लाख रुपये का बिल दिया है. उन्होंने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, ''मैं एक गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि से आता हूं. परिवार में मैं और मेरा भाई ही कमाने वाले सदस्य हैं और हमारी आजीविका इस कैंटीन पर निर्भर है. मैं 10 लाख रुपये कैसे दे सकता हूं? उन्हें मासिक या वार्षिक बकाया की मांग करनी चाहिए थी.’’ जेएनयू के रेक्टर अजय दुबे ने इससे पहले बताया था कि उन कैंटीन संचालकों को परिसर से नहीं हटाया जायेगा जिन्होंने उचित प्रक्रिया का पालन किया है.
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