दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित हुए एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक सभ्यता वाला देश है. इसे संविधान से बंधे नागरिक राष्ट्र में नहीं बदलना चाहिए, इसके साथ ही शांतिश्री डी पंडित ने कहा द्रौपदी और सीता पहली फेमनिस्ट थी. इस पर बात करते हुए शांति श्री ने कहा कि कई लोग मानते हैं कि नारीवाद और महिला अधिकार मार्क्स के साथ शुरू हुए और वहीं समाप्त हो गए. हालांकि मैं आपको बता दूं कि पहली नारीवादी द्रौपदी और सीता थीं.
शांतिश्री ने कहा कि सीता और द्रौपदी से बड़ी नारीवादी (फेमिनिस्ट) कौन था? महाभारत में जिस भाषा में द्रौपदी ने अपने पतियों को उत्तर दिया और जिस तरह रामायण में सीता ने बिना पति के बच्चों को जन्म दिया, वह नारीवादी सोच का एक उदाहरण है. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने कहा कि भारत ने अंग्रेजों से'लोकतांत्रिक मूल्य नहीं सीखे वरना म्यांमार और पाकिस्तान भी लोकतंत्र बन जाएंगे. भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तुलना में एक अलग रास्ते पर था. भारत एक लोकतंत्र है क्योंकि इसकी एक राजनीतिक संस्कृति है, एक ऐसी संस्कृति जो 3,000 करोड़ देवताओं में से चुन सकती है. भारत एक राष्ट्र का स्वतंत्र विचार नहीं था, बल्कि वेदों में एक अवधारणा के रूप में राष्ट्र प्रतिपादित किया गया था.
वहीं जेएनयू वीसी ने कहा कि केवल दो ऐसे सभ्यता वाले राष्ट्र हैं, जहां परंपरा के साथ आधुनिकता, क्षेत्र के साथ उसका प्रभाव तथा बदलाव के साथ निरंतरता मौजूद है. इन दो देशो में सबसे पहले भारत है और फिर चीन है.दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के कार्यक्रम में वीसी शांतिश्री ने इतिहास को लेकर कई बातें की. इस संगोष्ठी का उद्घाटन गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया.
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